शेडवेल बनाम शेडवेल 1960 | Shedwell v. Shedwell 1960
शेडवेल बनाम शेडवेल का वाद प्रतिफल के सिद्धान्त से सम्बन्धित है।
शेडवेल बनाम शेडवेल वाद के तथ्य तथा विवाद –
इस वाद में वादी ने एक लड़की से विवाह करने का करार किया। प्रतिवादी (जो कि वादी का चाचा था) को जब यह पता चला तो उसने इस होने वाले विवाह के प्रतिफल में यह प्रतिज्ञा की कि वह वादी को 150 पौंड प्रतिवर्ष अपने जीवन काल में तब तक देता रहेगा जब तक कि उसकी आय 600 गिनी (Guineas) नहीं हो जाती। अतः वादी ने उक्त लड़की (Ellen Nicholl) से विवाह कर लिया। वादी ने प्रस्तुत वाद प्रतिवादी के विरुद्ध उसके द्वारा की गई प्रतिज्ञा के अनुपालन कराने के लिए किया था। प्रतिवादी ने वाद का विरोध करते हुए कहा कि उसके द्वारा की गई प्रतिज्ञा का कोई प्रतिफल नहीं था, अत: इसका अनुपालन नहीं कराया जा सकता।
शेडवेल बनाम शेडवेल वाद का निर्णय –
न्यायालय ने निर्णय दिया कि उक्त प्रतिज्ञा के लिए यथेष्ट प्रतिफल था अतः न्यायालय ने निर्णय वादी के पक्ष में दिया।
शेडवेल बनाम शेडवेल वाद में प्रतिपादित नियम –
सामान्य नियम यह है कि यदि कोई पक्षकार किसी संविदा के अन्तर्गत कोई कार्य करने के लिए पहले से ही बाध्य है और उसी कार्य को करने के लिए वह कोई नई संविदा करता है तो इस नई संविदा को प्रतिफल विहीन माना जाता है। परन्तु यदि इस नई संविदा द्वारा वह कोई ऐसा कार्य करता है जिसको करने के लिए वह पहले से बाध्य नहीं था तो ऐसी संविदा को वैध माना जाता है। प्रस्तुत वाद में न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रतिवादी को प्रतिज्ञा प्रतिफलविहीन नहीं थी, क्योंकि विवाह का प्रमुख रूप से तो इनके पक्षकारों से ही सम्बन्ध होता है, परन्तु नजदीकी रिश्तेदारों के लिए भी यह एक हित का विषय होता है।
अतः यह कहा जा सकता है कि इससे उनको लाभ पहुँचता है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वादी ने प्रतिवादी के कहने पर अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। अतः वह इस बात का अधिकारी है कि वह प्रतिवादी द्वारा किये गये वचन का अनुपालन करवा सके।
शेडवेल बनाम शेडवेल वाद का निष्कर्ष – प्रतिवादी द्वारा की गई प्रतिज्ञा के लिए यथेष्ट प्रतिफल था अतः वह अपनी प्रतिज्ञा का अनुपालन करने के लिए बाध्य था।