क्या आप जानते  है किन आधारों पर कोर्ट से तलाक लिया जा सकता ?

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 में उन परिस्थितियों का वर्णन किया गया है जिनके आधार पर तलाक  हो सकता है

क्रूरता (Cruelty)  

यदि पति /पत्नी के द्वारा  मानसिक या शारीरिक क्रूरता की जाती है तो कोर्ट मे तलाक की अर्जी दायर की जा सकती है 

जारता (Adultery)  

किसी भी पति या पत्नी के विवाह के बाहर यौन संबंध होता है, तो यह व्यभिचार मन जाता है | यह तलाक का आधार होता है 

अभित्याग( Desertion)  

एक पति/पत्नी अपने साथी को कम से कम दो साल तक स्वेच्छा से त्याग देते हैं, तो इस आधार पर तलाक का मामला दर्ज कर सकते हैं।

धर्म परिवर्तन (Conversion) 

दोनों में से कोई भी खुद को किसी अन्य धर्म में बदल देता है, तो  इस आधार पर तलाक का मामला दर्ज कर सकते हैं।

पागलपन 

पति या पत्नी मानसिक विकार या पागलपन से पीड़ित हो जाता है तो तलाक का मामला दर्ज करा सकते है

कोढ़( Leprosy) 

लाइलाज कुष्ट रोग होने पर पति / पत्नी द्वारा तलाक के लिए याचिका दायर की जा  सकते हैं। 

रतिजन्य रोग (Venereal Disease) 

यदि पति/पत्नी में से एक गंभीर बीमारी से पीड़ित है जो आसानी से संक्रमणीय है| एड्स जैसे बीमारियों को इस रूप में माना जाता है।

संसार परित्याग 

विवाह का कोई पक्षकार जब संसार का परित्याग करके सन्यास धारण कर लेता है तो दूसरा पक्षकार इस आधार पर तलाक पाने का हक़दार है |

प्रकल्पित मृत्यु - 7 साल  (Presumed death) 

राम पिछले सात वर्षों से लापता था और उसकी पत्नी लक्ष्मी को उसके जीवित या मृत होने की कोई खबर नहीं मिलती है तो लक्ष्मी कोर्ट मे तलाक की अर्जी लगा सकती है |

न्यायिक पृथक्करण( Judicial separation)

अदालत के अलग-अलग होने की डिक्री पारित करने के बाद यदि दंपत्ति साथ-साथ  नहीं रहते हैं

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