टू-फिंगर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

टू-फिंगर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

बलात्कार या यौन उत्पीड़न के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पीड़िता पर टू-फिंगर टेस्ट कराने वाला कोई भी व्यक्ति कदाचार का दोषी होगा।

केस का नाम 

झारखंड राज्य बनाम शैलेंद्र कुमार राय (Criminal Appeal   No 1441 of 2022)

यह निर्णय न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की खंडपीठ ने दिया

कोर्ट ने कहा "पीड़ित के यौन इतिहास के साक्ष्य मामले के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। यह खेदजनक है कि यह आज भी आयोजित किया जा रहा है ... तथाकथित परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है ... यह महिलाओं को फिर से पीड़ित करता है।"

कोर्ट ने कहा कि परीक्षण गलत पितृसत्तात्मक धारणा पर आधारित है कि एक यौन सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है।

इसके साथ ही बेंच ने आदेश दिया कि इस तरह की जांच कराने वाला कोई भी व्यक्ति कदाचार का दोषी होगा।

महिला की प्राइवेट पार्ट में दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी को टेस्ट किया जाता है | यह टेस्ट इसलिए किया जाता है यह पता लगाया जा सके कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं|

टू-फिंगर टेस्ट क्या है ?

अगर प्राइवेट पार्ट में आसानी से दोनों उंगलियां चली जाती हैं तो महिला को सेक्‍चुली एक्टिव माना जाता है और इसे ही महिला के वर्जिन या वर्जिन न होने का भी सबूत मान लिया जाता है.