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धारा 19 परिसीमा अधिनियम | धारा 19 लिमिटेशन एक्ट | Section 19 Limitation Act in hindi

धारा 19 परिसीमा अधिनियम — ऋण लेखे या वसीयत-सम्पदा का ब्याज लेखे संदाय का प्रभाव-

जहां कि ऋण या वसीयत-सम्पदा के संदाय के लिए दायी व्यक्ति द्वारा या उसके इस निमित्त सम्यक् प्राधिकृत अभिकर्ता द्वारा कोई संदाय उस ऋण लेखे या उस वसीयत के ब्याज लेखे विहित काल के अवसान के पूर्व किया जाता है, वहां उस समय से, जब संदाय किया गया था, नया परिसीमा काल संगणित किया जाएगा;

                परन्तु उस दशा के सिवाय, जिसमें ब्याज का संदाय सन् 1928 की जनवरी के प्रथम दिन के पूर्व किया गया था यह तब होगा जब उस संदाय की अभिस्वीकृति, संदाय करने वाले व्यक्ति के हस्तलेख में या उसके द्वारा हस्ताक्षरित लेख में हो ।

स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए-

(क) जहां कि बन्धकित भूमि, बन्धकदार के कब्जे में हो वहां ऐसी भूमि के भाटक या उपज की प्राप्ति संदाय मानी जाएगी:

(ख) “ऋण” के अन्तर्गत वह धन नहीं आता जो न्यायालय की डिक्री या आदेश के अधीन संदेय हो ।


Section 19 Limitation Act — Effect of payment on account of debt or of interest on legacy–

Where payment on account of a debt or of interest on a legacy is made before the expiration of the prescribed period by the person liable to pay the debt or legacy or by his agent duly authorised in this behalf, a fresh period of limitation shall be computed from the time when the payment was made:



Provided that, save in the case of payment of interest made before the 1st day of January, 1928, an acknowledgment of the payment appears in the handwriting of, or in a writing signed by, the person making the payment.



Explanation.—For the purposes of this section,—


(a) where mortgaged land is in the possession of the mortgagee, the receipt of the rent or produce of such land shall be deemed to be a payment;



(b) “debt” does not include money payable under a decree or order of a court.


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