संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 103 – संविदा करने के लिए अक्षम व्यक्ति को या उस द्वारा सूचना इत्यादि-
इस अध्याय के उपबंधों के अधीन जहां कि संविदा करने के लिए अक्षम किसी व्यक्ति पर या द्वारा किसी सूचना की तामील होनी या कराई जानी है, या ऐसे व्यक्ति द्वारा कोई निविदा या निक्षेप किया जाना या प्रतिगृहीत किया जाना या न्यायालय से निकाला जाना है वहां ऐसे व्यक्ति का सम्पत्ति के वैध रक्षक पर या के द्वारा ऐसी सूचना की तामील हो सकेगी या कराई जा सकेगी या के द्वारा निविदा या निक्षप किया जा सकेगा या प्रतिगृहीत हो सकेगा या निकाला जा सकेगा, किन्तु जहाँ कि ऐसा कोई रक्षक नहीं है और ऐसे व्यक्ति के हितों में यह अपेक्षित या वांछनीय है कि इस अध्याय के उपबन्धों के अधीन सूचना की तामील होनी चाहिए या निविदा या निक्षेप किया जाना चाहिए वहां किसी भी न्यायालय से, जिसमें बन्धकमोचन के लिए वाद लाया जा सकता हो, ऐसी सूचना की तामील करने या प्राप्त करने, या ऐसी निविदा करने या प्रतिगृहीत करने या ऐसे निक्षेप को न्यायालय में करने या से निकालने के प्रयोजन से और उन सब पारिणामिक कार्यों को करने के लिए जो यदि ऐसा व्यक्ति संविदा करने के लिए सक्षम होता तो उसके द्वारा किए जा सकते या किए जाने चाहिए थे, वादार्थ संरक्षक नियुक्त करने के लिए आवेदन किया जा सकेगा और सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 (1908 का 5) की प्रथम अनुसूची के आदेश 32 के उपबंध यावत्शक्य ऐसे आवेदनों और उसके पक्षकारों और उसके अधीन नियुक्त संरक्षक को लागू होंगे।
Section 103 TPA – Notice, etc., to or by person incompetent to contract –
Where, under the provisions of this Chapter, a notice is to be served on or by, or a tender or deposit made or accepted or taken out of Court by, any person incompetent to contract, such notice may be served 1[on or by], or tender or deposit made, accepted or taken, by the legal curator of the property of such person; but where there is no such curator, and it is requisite or desirable in the interests of such person that a notice should be served or a tender or deposit made under the provisions of this Chapter, application may be made to any Court in which a suit might be brought for the redemption of the mortgage to appoint a guardian ad litem for the purpose of serving or receiving service of such notice, or making or accepting such tender, or making or taking out of Court such deposit, and for the performance of all consequential acts which could or ought to be done by such person if he were competent to contract; and the provisions of 2[Order XXXII in the First Schedule to the Code of Civil Procedure, 1908 (5 of 1908)] shall, so far as may be, apply to such application and to the parties thereto and to the guardian appointed thereunder. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 103
1. Ins. by s. 53, ibid.
2. Subs. by s. 53, ibid., for “Chapter XXXI of the Code of Civil Procedure”.