संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 114A – कुछ अन्य दशाओं में समपहरण से मुक्ति–
जहाँ कि स्थावर सम्पत्ति के किसी पट्टे का पर्यवसान किसी ऐसी अभिव्यक्त शर्त के भंग के कारण समपहरण द्वारा हो गया है, जो यह उपबंधित करती है कि उसके भंग पर पट्टाकर्ता पुनः प्रवेश कर सकेगा, वहां बेदखली के लिए कोई वाद तब तक न होगा जब तक कि और यदि पट्टाकर्ता ने पट्टेदार पर
(क) परिवादित विशिष्ट भंग का विनिर्देश करने वाली, तथा
(ख) यदि भंग उपचार योग्य है तो उस भंग का उपचार करने की पट्टेटार से अपेक्षा करने वाली, लिखित सूचना की तामील न कर दी हो और यदि वह भंग उपचार योग्य है तो पट्टेदार उसका उपचार सूचना की तामील की तारीख से युक्तियुक्त समय के भीतर करने में असफल न रहा हो।
इस धारा की कोई भी बात ऐसी किसी अभिव्यक्त शर्त को, जो पट्टे पर दी गई सम्पत्ति के समनुदेशन, उपपट्टाकरण, कब्जाविलग या व्ययन के विरुद्ध है, अथवा भाटक के असंदाय की दशा में समपहरण से सम्बन्धित किसी अभिव्यक्त शर्त को लागू नहीं होगी।
Section 114A TPA – 1[Relief against forfeiture in certain other cases.—
Where a lease of immovable property has determined by forfeiture for a breach of an express condition which provides that on breach thereof the lessor may re-enter, no suit for ejectment shall lie unless and until the lessor has served on the lessee a notice in writing–
(a) specifying the particular breach complained of; and
(b) if the breach is capable of remedy, requiring the lessee to remedy the breach;
and the lessee fails, within a reasonable time from the date of the service of the notice, to remedy the breach, if it is capable of remedy. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 114A
Nothing in this section shall apply to an express condition against the assigning, under-letting, parting with the possession, or disposing, of the property leased, or to an express condition relating to forfeiture in case of non-payment of rent.]
1. Ins. by s. 58, ibid.