संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 115 – अभ्यर्पण और समपहरण का उपपट्टों पर प्रभाव-
स्थावर सम्पत्ति के पट्टे के अभिव्यक्त या विवक्षित अभ्यर्पण का प्रतिकूल प्रभाव सम्पत्ति के या उसके किसी भाग के ऐसे उपपट्टे पर नहीं पड़ता, जो पट्टेदार द्वारा उन निबंधनों और शर्तों पर पहले ही अनुदत्त कर दिया गया है जो (भाटक की रकम के बारे में के सिवाय) सारतः वे ही हैं, जो मूल पट्टे की हैं, किंतु जब तक कि यह अभ्यर्पण नया पट्टा अभिप्राप्त करने के प्रयोजन से न किया गया हो उपपट्टेदार द्वारा देय भाटक और उसे आबद्ध करने वाली संविदाएं क्रमश: पट्टाकर्ता को देय और उसके द्वारा प्रवर्तनीय रहेंगी।
ऐसे पट्टे का समपहरण ऐसे सब उपपट्टे को वहां के सिवाय बातिल कर देता है जहां कि ऐसा समपहरण पट्टाकर्ता द्वारा उपपट्टेदारों को कपटवंचित करने के लिए उपाप्त किया गया है या जहां कि समपहरण से मुक्ति धारा 114 के अधीन अनुदत्त की गई है।
Section 115 TPA – Effect of surrender and forfeiture on under-leases –
The surrender, express or implied, of a lease of immovable property does not prejudice an under-lease of the property or any part thereof previously granted by the lessee, on terms and conditions substantially the same (except as regards the amount of rent) as those of the original lease; but, unless the surrender is made for the purpose of obtaining a new lease, the rent payable by, and the contracts binding on, the under-lessee shall be respectively payable to and enforceable by the lessor.
The forfeiture of such a lease annuls all such under-leases, except where such forfeiture has been procured by the lessor in fraud of the under-lessees, or relief against the forfeiture is granted under section 114. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 115