संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 17 – संचयन के लिए निदेश–
(1) जहां कि सम्पत्ति के किसी अन्तरण के निबन्धन निर्दिष्ट करते हैं कि उस सम्पत्ति से उद्भुत आय
(क) अन्तरक के जीवन से, या
(ख) अन्तरण की तारीख से अठारह वर्ष की कालावधि से, अधिक कालावधि तक पूर्णतः या भागतः संचित की जाएगी, वहां एतस्मिन्पश्चात् यथा उपबंधित के सिवाय ऐसा निदेश वहां तक शून्य होगा, जहां तक कि वह कालावधि, जिसके दौरान संचय करना निदिष्ट है, पूर्वोक्त कालावधियों में से दीर्घतर कालावधि से अधिक हो और ऐसी अन्तिम वर्णित कालावधि का अन्त होने पर वह सम्पत्ति और उसकी आय इस प्रकार व्ययनित की जाएगी मानो वह कालावधि, जिसके दौरान संचय करना निर्दिष्ट किया गया है. बीत गई है।
(2) यह धारा ऐसे किसी निदेश पर प्रभाव न डालेगी जो-
(i) अन्तरक के ऋणों का या अन्तरण के अधीन कोई हित पाने वाले किसी अन्य व्यक्ति के ऋणों का संदाय करने के, अथवा
(ii) अन्तक के या अन्तरण के अधीन कोई हित पाने वाले किसी अन्य व्यक्ति के पुत्र-पुत्रियों या दूरतर सन्तति के लिए भागों का उपबन्ध करने के, अथवा
(iii) अन्तरित सम्पत्ति के परिरक्षण या अनुरक्षण के,
प्रयोजन से संचय करने के लिए हो, और ऐसा निदेश तद्नुकूल किया जा सकेगा।
Section 17 TPA – Direction for accumulation –
(1) Where the terms of a transfer of property direct that the income arising from the property shall be accumulated either wholly or in part during a period longer than–
(a) the life of the transferor, or
(b) a period of eighteen years from the date of the transfe ,
such direction shall, save as hereinafter provided, be void to the extent to which the period during which the accumulation is directed exceeds the longer of the aforesaid periods, and at the end of such last-mentioned period the property and the income thereof shall be disposed of as if the period during which the accumulation has been directed to be made had elapsed.
(2) This section shall not affect any direction for accumulation for the purpose of–
(i) the payment of the debts of the transferor or any other person taking any interest under the transfer, or
(ii) the provision of portions for children or remoter issue of the transferor or of any other person taking any interest under the transfer, or संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 17
(iii) the preservation or maintenance of the property transferred;
and such direction may be made accordingly.]
1. Subs. by s. 10, ibid., for sections 16, 17 and 18.