संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 19 – निहित हित-
जहां कि किसी सम्पत्ति-अन्तरण से किसी व्यक्ति के पक्ष में उस सम्पत्ति में कोई हित, वह समय विनिर्दिष्ट किए बिना, जब से वह प्रभावी होगा, या शब्दों में यह विनिर्दिष्ट करते हुए कि वह तत्काल या किसी ऐसी घटना होने पर, जो अवश्यंभावी है, प्रभावी होगा, सृष्ट किया जाता है, वहां जब तक कि अन्तरण के निबन्धनों से प्रतिकूल आशय प्रतीत न होता हो ऐसा हित निहित हित है।
निहित हित कब्जा अभिप्राप्त करने से पहले अन्तरिती की मृत्यु हो जाने से विफल नहीं हो जाता।
स्पष्टीकरण
केवल ऐसे उपबन्ध से, जिसके द्वारा हित का उपभोग मुल्तवी किया जाता है, या उसी सम्पत्ति में कोई पूर्विक हित किसी अन्य व्यक्ति के लिए दिया जाता या आरक्षित किया जाता है, या उस सम्पत्ति से उद्भूत आय को उस समय तक संचित किए जाने का निदेश किया जाता है, जब तक उपभोग का समय नहीं आ जाता, या केवल ऐसे किसी उपबन्ध से कि यदि कोई विशेष घटना घटित हो जाए तो वह हित किसी अन्य व्यक्ति को संक्रान्त हो जाएगा यह आशय कि हित निहित नहीं होगा अनुमित न किया जाएगा।
Section 19 TPA – Vested interest –
Where, on a transfer of property, an interest therein is created in favour of a person without specifying the time when it is to take effect, or in terms specifying that it is to take effect forthwith or on the happening of an event which must happen, such interest is vested, unless a contrary intention appears from the terms of the transfer.
A vested interest is not defeated by the death of the transferee before he obtains possession.
Explanation.-– An intention that an interest shall not be vested is not to be inferred merely from a provision whereby the enjoyment thereof is postponed, or whereby a prior interest in the same property is given or reserved to some other person, or whereby income arising from the property is directed to be accumulated until the time of enjoyment arrives, or from a provision that if a particular event shall happen the interest shall pass to another person.