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संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 72 | Section 72 TPA in hindi

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 72 – सकब्जा बन्धकदार के अधिकार–

बन्धकदार इतना धन व्यय कर सकेगा जितना-

(क)********

(ख) नाश, समपहरण या विक्रय से बन्धक-सम्पत्ति का परिरक्षण करने के लिए,

(ग) उस सम्पत्ति पर बंधककर्ता के हक के समर्थन के लिए,

(घ) उसमें स्वयं अपने हक को बन्धककर्ता के विरुद्ध पक्का करने के लिए, तथा

(ङ) जब कि बन्धक-सम्पत्ति नवीकरणीय पट्टाधृति है तब पट्टे के नवीकरण के लिए, आवश्यक है;

और तत्प्रतिकूल संविदा न हो तो ऐसे धन को मूलधन में जोड़ सकेगा; उस धन पर ऐसी दर से, जो मूलधन पर देय है, और जहां कि ऐसी कोई दर नियत न हो, वहां नौ प्रतिशत वार्षिक दर से, ब्याज लगेगा :

  • परंतु बन्धकदार द्वारा खंड (ख) या खंड (ग) के अधीन किया गया धन का व्यय आवश्यक न समझा जाएगा, जब तक कि बंधककर्ता सम्पत्ति को परिरक्षित करने के लिए या हक का समर्थन करने के लिए अपेक्षित न किया गया हो और वह तदर्थ उचित और यथासमय पग उठाने में असफल न हो गया हो ।

जहां कि सम्पत्ति अपनी प्रकृति से बीमा योग्य है, वहां तत्प्रतिकूल संविदा न हो तो बंधकदार ऐसी सब सम्पत्ति या उसके किसी भाग को हानि या नुकसान के लिए, जो अग्नि से हो, बीमाकृत भी कर और रख सकेगा और किसी ऐसे बीमे के लिए दिए गए प्रीमियम उसी दर से, जो मूलधन पर देय है, या जहां कि ऐसी दर नियत नहीं है वहां नौ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज सहित मूलधन में जोड़े जाएंगे। किन्तु ऐसे बीमे की रकम उस रकम से अधिक न होगी जो बन्धक-विलेख में इस निमित्त विनिर्दिष्ट है या (यदि ऐसी कोई रकम उसमें विनिर्दिष्ट न हो तो) उस रकम के दो-तिहाई से अधिक न होगी जो पूर्ण नाश की दशा में बीमाकृत सम्पत्ति के पुनःस्थापित करने के लिए अपेक्षित होती।

इस धारा की कोई भी बात बन्धकदार को बीमा कराने के लिए प्राधिकृत करने वाली न समझी जाएगी, जब कि सम्पत्ति का बीमा बन्धककर्ता द्वारा या बन्धककर्ता की ओर से उतनी रकम का किया हुआ रखा जाता है जितने के लिए बन्धकदार बीमा कराने के लिए एतदद्वारा प्राधिकृत है।


Section 72 TPA – Rights of mortgagee in possession –

1[A mortgagee] may spend such money as is necessary–

2* * * * *

(b) for 3[the preservation of the mortgaged property] from destruction, forfeiture or sale;

(c) for supporting the mortgagor’s title to the property;

(d) for making his own title thereto good against the mortgagor; and

(e) when the mortgaged property is a renewable lease-hold, for the renewal of the lease;

and may, in the absence of a contract to the contrary, add such money to the principal money, at the rate of interest payable on the principal, and, where no such rate is fixed, at the rate of nine per cent. per annum: संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 72

  • 4[Provided that the expenditure of money by the mortgagee under clause (b) or clause (c) shall not be deemed to be necessary unless the mortgagor has been called upon and has failed to take proper and timely steps to preserve the property or to support the title.] संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 72

Where the property is by its nature insurable, the mortgagee may also, in the abs ence of a contract to the contrary, insure and keep insured against loss or damage by fire the whole or any pant of such property; and the premiums paid for any such insurance shall be 5[added to the principal money with interest at the same rate as is pay able on the principal money or, where no such rate is fixed, at the rate of nine per cent. per annum]. But the amount of such insurance shall not exceed the amount specified in this behalf in the mortgage-deed or (if no such amount is therein specified) two-thirds of the amount that would be required in case of total destruction to reinstate the property insured. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 72

Nothing in this section shall be deemed to authorize the mortgagee to insure when an insurance of the property is kept up by or on behalf of the mortgagor to the amount in which the mortgagee is hereby authorized to insure.संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 72


1. Subs. by s. 37, ibid., for certain words.

2. Clause (a) omitted by s. 37, ibid.

3. Subs. by s. 37, ibid., for “its preservation”.

4. Ins. by Act 20 of 1929, s. 37.

5. Subs. by s. 37, ibid., for certain words.

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