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संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 73 | Section 73 TPA in hindi

संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 73 – राजस्व के लिए किए गए विक्रय के आगमों पर या अर्जन पर प्रतिकर पर अधिकार-

(1) जहां कि बन्धक-सम्पत्ति या उसका कोई भाग या उसमें का कोई हित ऐसी सम्पत्ति के बारे में राजस्व की बकाया या लोक प्रकृति के अन्य प्रभार या शोध्य भाटक देने में असफलता के कारण बेचा जाता है, और ऐसी असफलता बन्धकदार के किसी व्यतिक्रम से उत्पन्न नहीं हुई है, वहां बन्धकदार उस बकाया के और विधि द्वारा निर्दिष्ट सब प्रभारों और कटौतियों के संदाय के पश्चात् विक्रय आगमों में जो कुछ अधिशेष रहे उसमें से बन्धक धन के पूर्णतः या भागतः दिए जाने का दावा करने का हकदार होगा।

(2) जहां कि बन्धक-सम्पत्ति या उसका कोई भाग या उसमें का कोई हित भूमि अर्जन अधिनियम, 1894 (1894 का 1) या स्थावर सम्पत्ति के आवश्यक अर्जन के लिए उपबन्ध करने वाली किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त-अधिनियमिति के अधीन अर्जित किया जाता है, वहाँ बन्धकदार बन्धककर्ता को प्रतिकर के रूप में शोध्य रकम में से बन्धक धन के पूर्णतः या भागतः संदाय का दावा करने का हकदार होगा।

(3) ऐसे दावे पूर्विक विल्लंगमदारों के दावों के सिवाय अन्य सब दावों के विरुद्ध अभिभावी होंगे और इस बात के होते हुए भी कि बन्धक पर मूलधन शोध्य नहीं हुआ है, प्रवर्तित किए जा सकेंगे।


Section 73 TPA –1[Right to proceeds of revenue sale or compensation on acquisition.

(1) Where the mortgaged property or any part thereof or any interest therein is sold owing to failure to pay arrears of revenue or other charges of a public nature or rent due in respect of such property, and such failure did not arise from any default of the mortgage e, the mortgagee shall be entitled to claim payment of the mortgage-money, in whole or in part, out of any surplus of the sale-proceeds remaining after payment of the arrears and of all charges and deductions directed by law.

(2) Where the mortgaged property or any part thereof or any interest therein is acquired under the Land Acquisition Act, 1894 (1 of 1894), or any other enactment for the time being in force providing for the compulsory acquisition of immovable property, the mortgagee shall be entitled to claim payment of the mortgage-money, in whole or in part, out of the amount due to the mortgagor as compensation.

(3) Such claims shall prevail against all other claims except those of prior encumbrances, and may be enforced notwithstanding that the principal money on the mortgage has not become due.] संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 73


1. Subs. by s. 38, ibid., for section 78.

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