संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 79 – जब कि अधिकतम रकम अभिव्यक्त है, तब अनिश्चित रकम को प्रतिभूत करने के लिए बन्धक-
यदि भविष्यवर्ती उधारों को, वचनबन्ध के पालन को, या किसी चालू खाते की बाकी को प्रतिभूत करने के लिए किए गए किसी बन्धक में वह अधिकतम रकम अभिव्यक्त है, जो तद्द्वारा प्रतिभूत की जानी है, तो उसी सम्पत्ति का कोई पाश्चिक बन्धक, यदि वह किसी पूर्विक बन्धक की सूचना होते हुए किया गया है, उस अधिकतम से अनधिक उन सब उधारों या विकलनों की बाबत, यधपि वे पाश्चिक बन्धक की सूचना होते हुए दिए गए या अनुज्ञात किए गए हों, उसी सम्पत्ति का पाश्चिक बन्धक पूर्विक बन्धक के मुकाबले में मुल्तवी रहेगा।
दृष्टांत
क सुल्तानपुर का बन्धक अपने महाजन ख एवं कंपनी के पास 10,000 रुपए तक उनके साथ अपने लेखाओं की बाकी को प्रतिभूत करने के लिए करता है । क फिर ग के पास, जिसे ख एवं कंपनी के पास किए गए बन्धक को सूचना है, सुल्तानपुर का बन्धक 10,000 रुपए को प्रतिभूत करने के लिए करता है, और ख एवं कंपनी को ग उसे दूसरे बन्धक को सूचना देता है। दूसरे बन्धक की तारीख को ख एवं कम्पनी को शोध्य बाकी 5,000 रुपए से अधिक नहीं है। ख एवं कम्पनी उसके पश्चात् क को ऐसी राशि देते हैं जिससे क के खाते में विकलन बाकी 10,000 रुपए की राशि से अधिक हो जाती है । ख एवं कम्पनी, ग के मुकाबले में 10,000 रुपए तक पूर्विकता के हकदार हैं।
Section 79 TPA – Mortgage to secure uncertain amount when maximum is expressed –
If a mortgage made to secure future advances, the performance of an engagement or the balance of a running account, expresses the maximum to be secured thereby, a subsequent mortgage of the same property shall, if made with notice of the prior mortgage, be postponed to the prior mortgage in respect of all advances or debits not exceeding the maximum, though made or allowed with notice of the subsequent mortgage. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 79
Illustration
A mortgages Sultanpur to his bankers, B & Co., to secure the balance of his account with them to the extent of Rs. 10,000. A then mortgages Sultanpur to C, to secure Rs. 10,000; C having not ice of the mortgage to B & Co., and C gives notice to B & Co. of the second mortgage. At the date of the second mortgage, the balance due to B & Co. does not exceed Rs. 5,000. B & Co. subsequently advance to A sums making the balance of the account against him exceed the sum of Rs. 10,000. B & Co. are entitled to the extent of Rs. 10,000, to priority over C. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 79