संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 101 – पाश्चिक विल्लंगम के विद्यमान होने पर बिलयन न होगा-
स्थावर सम्पत्ति का कोई भी बन्धकदार या वैसी सम्पत्ति पर भार रखने वाला कोई भी व्यक्ति या ऐसे बन्धकदार या भारक का कोई अन्तरिती, यथास्थिति, बन्धककर्ता या स्वामी के उस सम्पत्ति में के अधिकारों का क्रय या अन्यथा अर्जन, जहां तक कि उसके अपने और उसी सम्पत्ति के किसी पाश्चिक बन्धकदार या किसी पाश्चिक भारक के बीच का सम्बन्ध है, बन्धक या भार का तद्द्वारा विलयन कारित किए बिना कर सकेगा और ऐसा कोई भी पाश्चिक बन्धकदार या भारक पूर्विक बन्धक या भार का मोचन कराए बिना या बन्धक या भार के अध्यधीन बने रहने से अन्यथा पुरोबन्ध कराने या ऐसी सम्पत्ति का विक्रय कराने का हकदार न होगा।
Section 101 TPA –1[No merger in case of subsequent encumbrance.—
Any mortgagee of, or person having a charge upon, immovable property, or any transferee from such Mortgagee or charge-holder, may purchase or otherwise acquire the rights in the property of the mortgagor or owner, as the case may be, without thereby causing the mortgage or charge to be merged as between himself and any subsequent mortgagee of, or person having a subsequent charge upon, the same property; and no such subsequent mortgagee or charge-holder shall be entitled to for close or sell such property without redeeming the prior mortgage or charge, or otherwise than subject thereto.]
1. Subs. by s. 51, ibid., for section 101.