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हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 23A | section 23A HMA | Section 23A Hindu Marriage Act in hindi

हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 23A – विवाह-विच्छेद और अन्य कार्यवाहियों में प्रत्यर्थी को अनुतोष —

विवाह-विच्छेद या न्यायिक पृथक्करण या दाम्पत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन के लिए किसी कार्यवाही में प्रत्यर्थी अर्जीदार के जारकर्म, क्रूरता या अधित्यजन के आधार पर चाहे गए अनुतोष का न केवल विरोध कर सकेगा बल्कि वह उस आधार पर इस अधिनियम के अधीन किसी अनुतोष के लिए प्रतिदावा भी कर सकेगा और यदि अर्जीदार का जारकर्म, क्रूरता या अभित्यजन साबित हो जाता है तो न्यायालय प्रत्यर्थी को इस अधिनियम के अधीन कोई ऐसा अनुतोष दे सकेगा जिसके लिए वह उस दशा में हकदार होता या होती जिसमें उसने उस आधार पर ऐसे अनुतोष की मांग करते हुए अर्जी उपस्थापित की होती ।


Section 23A Hindu Marriage Act – Relief for respondent in divorce and other proceedings —

1[In any proceeding for divorce or judicial separation or restitution of conjugal rights, the respondent may not only oppose the relief sought on the ground of petitioners adultery, cruelty or desertion, but also make a counter-claim for any relief under this Act on that ground; and if the petitioners adultery, cruelty or desertion is proved, the court may give to the respondent any relief under this Act to which he or she would have been entitled if he or she had presented a petition seeking such relief on that ground.]


1. Ins by Act 68 of 1976, s. 17, (w.e.f. 27-5-1976).

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