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धारा 10 परिसीमा अधिनियम | धारा 10 लिमिटेशन एक्ट | Section 10 Limitation Act in hindi

धारा 10 परिसीमा अधिनियम — न्यासियों तथा उनके प्रतिनिधियों के विरुद्ध वाद-

इस अधिनियम के पूर्वगामी उपबंधों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते भी, किसी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध, जिसमें सम्पत्ति किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए न्यास-निहित हुई हो अथवा उसके विधिक प्रतिनिधियों या समनुदेशितियों के विरुद्ध (जो मूल्यवान प्रतिफलार्थ समनुदेशिती न हों) उसके या उनके हस्तगत ऐसी सम्पत्ति या उसके आगमों का पीछा करने के प्रयोजन से या उस सम्पत्ति या उसके आगमों के लेखा के लिए कोई वाद कितना भी समय बीत जाने के कारण वर्जित न होगा ।

स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए किसी हिन्दू, मुसलमान या बौद्ध धार्मिक या खैराती विन्यास समाविष्ट कोई भी सम्पत्ति एक विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए न्यास-निहित समझी जाएगी और सम्पत्ति का प्रबंधक उसका न्यासी समझा जाएगा ।


Section 10 Limitation Act —  Suits against trustees and their representatives–

Notwithstanding anything contained in the foregoing provisions of this Act, no suit against a person in whom property has become vested in trust for any specific purpose, or against his legal representatives or assigns (not being assigns for valuable consideration), for the purpose of following in his or their hands such property, or the proceeds thereof, or for an account of such property or proceeds, shall be barred by any length of time.



Explanation.—For the purposes of this section any property comprised in a Hindu, Muslim or Buddhist religious or charitable endowment shall be deemed to be property vested in trust for a specific purpose and the manager of the property shall be deemed to be the trustee thereof.

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