धारा 115 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – विबंध —
जबकि एक व्यक्ति ने अपनी घोषणा, कार्य या लोप द्वारा अन्य व्यक्ति को विश्वास साशय कराया है या कर लेने दिया है कि कोई बात सत्य है और ऐसे विश्वास पर कार्य कराया या करने दिया है, तब न तो उसे और न उसके प्रतिनिधि को अपने और ऐसे व्यक्ति के, या उसके प्रतिनिधि के, बीच किसी वाद या कार्यवाही में उस बात की सत्यता का प्रत्याख्यान करने दिया जाएगा।
दृष्टांत
क साशय और मिथ्या रूप से ख को यह विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है कि अमुक भूमि क की है, और तद्द्वारा ख को उसे क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए उत्प्रेरित करता है।
तत्पश्चात भूमि क की सम्पत्ति हो जाती है और क इस आधार पर कि विक्रय के समय उसका उसमें हक नहीं था, विक्रय अपास्त करने की ईप्सा करता है। उसे अपने हक का अभाव साबित नहीं करने दिया जाएगा।
Section 115 Indian Evidence Act – Estoppel —
When one person has, by his declaration, act or omission, intentionally caused or permitted another person to believe a thing to be true and to act upon such belief, neither he nor his representative shall be allowed, in any suit or proceeding between himself and such person or his representative, to deny the truth of that thing.
Illustration
A intentionally and falsely leads B to believe that certain land belongs to A, and thereby induces B to buy and pay for it.
The land afterwards becomes the property of A, and A seeks to set aside the sale on the ground that, at the time of the sale, he had no title. He must not be allowed to prove his want of title.