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धारा 12 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम | 12 Prohibition of Child Marriage Act in hindi

धारा 12 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम – कतिपय परिस्थितियों में किसी अवयस्क बालक के विवाह का शून्य होना-

जहां कोई बालक, जो अवयस्क है, विवाह के प्रयोजन के लिए, –

(क) विधिपूर्ण संरक्षक की देखरेख से बाहर लाया जाता है या आने के लिए फुसलाया जाता है; या

(ख) किसी स्थान से जाने के लिए बलपूर्वक बाध्य किया जाता है या किन्हीं प्रवंचनापूर्ण साधनों से उत्प्रेरित किया जाता है; या

(ग) विक्रय किया जाता है, और किसी रूप में उसका विवाह कराया जाता है या यदि अवयस्क विवाहित है और उसके पश्चात् उस अवयस्क का विक्रय किया जाता है या दुर्व्यापार किया जाता है या अनैतिक प्रयोजनों के लिए उसका उपयोग किया जाता है, वहां ऐसा विवाह अकृत और शून्य होगा ।


12 Prohibition of Child Marriage Act – Marriage of a minor child to be void in certain circumstances –

Where a child, being a minor–

(a) is taken or enticed out of the keeping of the lawful guardian; or

(b) by force compelled, or by any deceitful means induced to go from any place; or

(c) is sold for the purpose of marriage; and made to go through a form of marriage or if the minor is married after which the minor is sold or trafficked or used for immoral purposes,

such marriage shall be null and void.

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