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धारा 148 भारतीय साक्ष्य अधिनियम | धारा 148 साक्ष्य अधिनियम| Section 148 Indian Evidence Act in hindi

धारा 148 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – न्यायालय विनिश्चित करेगा कि कब प्रश्न पूछा जाएगा और साक्षी को उत्तर देने के लिए कब विवश किया जाएगा —

यदि ऐसा कोई प्रश्न ऐसी बात से संबंधित है, जो उस बात या कार्यवाही से वहां तक के सिवाय जहां तक कि वह साक्षी के शील को दोष लगाकर उसकी विश्वसनीयता पर प्रभाव डालती है, सुसंगत नहीं है, तो न्यायालय विनिश्चित करेगा कि साक्षी को उत्तर देने के लिए विवश किया जाए या नहीं और यदि वह ठीक समझे, तो साक्षी को सचेत कर सकेगा कि वह उसका उत्तर देने के लिए आबद्ध नहीं है। अपने विवेक का प्रयोग करने में न्यायालय निम्नलिखित विचारों को ध्यान में रखेगा :-

1. ऐसे प्रश्न उचित हैं, यदि वे ऐसी प्रकृति के हैं कि उनके द्वारा प्रवहण किए गए लांछन की सत्यता उस विषय में, जिसका वह साक्षी परिसाक्ष्य देता है, साक्षी की विश्वसनीयता के बारे में न्यायालय की राय पर गंभीर  प्रभाव डालेगी;

2. ऐसे प्रश्न अनुचित हैं, यदि उनके द्वारा प्रवहण किया गया लांछन ऐसी बातों के संबंध में है, जो समय में उतनी अतीत हैं या जो इस प्रकार की हैं कि लांछन की सत्यता उस विषय में, जिसका वह साक्षी परिसाक्ष्य देता है, साक्षी की विश्वसनीयता के बारे में न्यायालय की राय पर प्रभाव नहीं डालेगी या बहुत थोड़ी मात्रा में प्रभाव डालेगी;

3. ऐसे प्रश्न अनुचित हैं, यदि साक्षी के शील के विरुद्ध किए गए लांछन के महत्व और उसके साक्ष्य के महत्व के बीच भारी अननुपात है;

4. न्यायालय, यदि वह ठीक समझे, साक्षी के उत्तर देने से इंकार करने पर यह अनुमान लगा सकेगा कि उत्तर यदि दिया जाता तो, प्रतिकूल होता।


Section 148 Indian Evidence Act – Court to decide when question shall be asked and when witness compelled to answer —

If any such question relates to a matter not relevant to the suit or proceeding, except in so far as it affects the credit of the witness by injuring his character, the Court shall decide whether or not the witness shall be compelled to answer it, and may, if it thinks fit, warn the witness that he is not obliged to answer it. In exercising its discretion, the Court shall have regard to the following considerations: —

(1) such questions are proper if they are of such a nature that the truth of the imputation conveyed by them would seriously affect the opinion of the Court as to the credibility of the witness on the matter to which he testifies;

(2) such questions are improper if the imputation which they convey relates to matters so remote in time, or of such a character, that the truth of the imputation would not affect, or would affect in a slight degree, the opinion of the Court as to the credibility of the witness on the matter to which he testifies; धारा 148 भारतीय साक्ष्य अधिनियम

(3) such questions are improper if there is a great disproportion between the importance of the imputation made against the witnesss character and the importance of his evidence; धारा 148 भारतीय साक्ष्य अधिनियम

(4) the Court may, if it sees fit, draw, from the witnesss refusal to answer, the inference that the answer if given would be unfavourable.

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