धारा 159 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – स्मृति ताजी करना —
कोई साक्षी जबकि वह परीक्षा के अधीन है, किसी ऐसे लेख को देख करके, जो कि स्वयं उसने उस संव्यवहार के समय जिसके संबंध में उससे प्रश्न किया जा रहा है, या इतने शीघ्र पश्चात् बनाया हो कि न्यायालय इसे संभाव्य समझता हो कि वह संव्यवहार उस समय उसकी स्मृति में ताजा था, अपनी स्मृति को ताजा कर सकेगा।
साक्षी उपर्युक्त प्रकार के किसी ऐसे लेख को भी देख सकेगा जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा तैयार किया गया हो और उस साक्षी द्वारा उपर्युक्त समय के भीतर पढ़ा गया हो, यदि वह उस लेख का, उस समय जबकि उसने उसे पढ़ा था, सही होना जानता था।
साक्षी स्मृति ताजी करने के लिए दस्तावेज की प्रतिलिपि का उपयोग कब कर सकेगा — जब कभी कोई साक्षी अपनी स्मृति किसी दस्तावेज को देखने से ताजी कर सकता है, तब वह न्यायालय की अनुज्ञा से ऐसी दस्तावेज की प्रतिलिपि को देख सकेगा:
परन्तु यह तब जबकि न्यायालय का समाधान हो गया हो कि मूल को पेश न करने के लिए पर्याप्त कारण है।
विशेषज्ञ अपनी स्मृति वृत्तिक पुस्तकों को देख कर ताजी कर सकेगा।
Section 159 Indian Evidence Act – Refreshing memory —
A witness may, while under examination, refresh his memory by referring to any writing made by himself at the time of the transaction concerning which he is questioned, or so soon afterwards that the Court considers it likely that the transaction was at that time fresh in his memory.
The witness may also refer to any such writing made by any other person, and read by the witness within the time aforesaid, if when he read it he knew it to be correct.
When witness may use copy of document to refresh memory. — Whenever a witness may refresh his memory by reference to any document, he may, with the permission of the Court, refer to a copy of such document:
Provided the Court be satisfied that there is sufficient reason for the non-production of the original. An expert may refresh his memory by reference to professional treatises.