धारा 2 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम -परिभाषाएं-
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
(क) बालक” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने, यदि पुरुष है तो, इक्कीस वर्ष की आयु पूरी नहीं की है और यदि नारी है तो, अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है;
(ख) बाल-विवाह” से ऐसा विवाह अभिप्रेत है जिसके बंधन में आने वाले दोनों पक्षकारों में से कोई बालक है ;
(ग) विवाह के संबंध में बंधन में आने वाले पक्षकार” से पक्षकारों में से कोई भी ऐसा पक्षकार अभिप्रेत है जिसका विवाह उसके द्वारा अनुष्ठापित किया जाता है या किया जाने वाला है;
(घ) बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी” के अन्तर्गत धारा 16 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त बाल-विवाह प्रतिषेध अधिकारी भी है;
(ङ) जिला न्यायालय” से अभिप्रेत है ऐसे क्षेत्र में, जहां कुटुंब न्यायालय अधिनियम, 1984 (1984 का 66) की धारा 3 के अधीन स्थापित कुटुंब न्यायालय विद्यमान है, ऐसा कुटुंब न्यायालय और किसी ऐसे क्षेत्र में जहां कुटुंब न्यायालय नहीं है, किंतु कोई नगर सिविल न्यायालय विद्यमान है वहां वह न्यायालय और किसी अन्य क्षेत्र में, आरंभिक अधिकारिता रखने वाला प्रधान सिविल न्यायालय और उसके अंतर्गत ऐसा कोई अन्य सिविल न्यायालय भी है जिसे राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट करे जिसे ऐसे मामलों के संबंध में अधिकारिता है, जिनके बारे में इस अधिनियम के अधीन कार्रवाई की जाती है ;
(च) अवयस्क” से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसके बारे में वयस्कता अधिनियम, 1875 (1875 का 9) के उपबंधों के अधीन यह माना जाता है कि उसने, वयस्कता प्राप्त नहीं की है ।
2 Prohibition of Child Marriage Act- Definitions–
In this Act, unless the context otherwise requires,–
(a) “child” means a person who, if a male, has not completed twenty-one years of age, and if a female, has not completed eighteen years of age;
(b) “child marriage” means a marriage to which either of the contracting parties is a child;
(c) “contracting party”, in relation to a marriage, means either of the parties whose marriage is or is about to be thereby solemnised;
(d) “Child Marriage Prohibition Officer” includes the Child Marriage Prohibition Officer appointed under sub-section (1) of section 16;
(e) “district court” means, in any area for which a Family Court established under section 3 of the Family Courts Act, 1984 (66 of 1984) exists, such Family Court, and in any area for which there is no Family Court but a city civil court exists, that court and in any other area, the principal civil court of original jurisdiction and includes any other civil court which may be specified by the State Government, by notification in the Official Gazette, as having jurisdiction in respect of the matters dealt with in this Act; धारा 2 बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम
(f) “minor” means a person who, under the provisions of the Majority Act, 1875 (9 of 1875), is to be deemed not to have attained his majority.