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धारा 2 लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम | Section 2 Prevention of Damage to Public Property Act in hindi

धारा 2 लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियमपरिभाषाएं-

इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) “रिष्टि” का वही अर्थ होगा जो भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 425 में है;

(ख) “लोक संपत्ति” से अभिप्रेत है ऐसी कोई संपत्ति, चाहे वह स्थावर हो या जंगम (जिसके अन्तर्गत कोई मशीनरी है), जो निम्नलिखित के स्वामित्व या कब्जे में या नियंत्रण के अधीन है :-

(i) केन्द्रीय सरकार; या

(ii) राज्य सरकार; या

(iii) स्थानीय प्राधिकारी; या

(iv) किसी केन्द्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित निगम; या

(v) कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में परिभाषित कम्पनी; या

(vi) ऐसी संस्था, समुत्थान या उपक्रम, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ;

परन्तु केन्द्रीय सरकार इस उपखण्ड के अधीन किसी संस्था, समुत्थान या उपक्रम को तभी विनिर्दिष्ट करेगी जब ऐसी संस्था, समुत्थान या उपक्रम का केन्द्रीय सरकार द्वारा अथवा एक या अधिक राज्य सरकारों द्वारा अथवा भागतः केन्द्रीय सरकार द्वारा और भागतः एक या अधिक राज्य सरकारों द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपबन्धित निधियों द्वारा पूर्णतः या पर्याप्ततः वित्तपोषण किया जाता है ।


Section 2 Prevention of Damage to Public Property Act –  Definitions –

In this Act, unless the context otherwise requires,—

(a) “mischief” shall have the same meaning as in section 425 of the Indian Penal Code (45 of 1860);

(b) “public property” means any property, whether immovable or movable (including any machinery) which is owned by, or in the possession of, or under the control of—

(i) the Central Government; or

(ii) any State Government; or

(iii) any local authority; or

(iv) any corporation established by, or under, a Central, Provincial or State Act; or

(v) any company as defined in section 617 of the Companies Act, 1956 (1 of 1956); or

(vi) any institution, concern or undertaking which the Central Government may, by notification in the Official Gazette, specify in this behalf: धारा 2 लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम

Provided that the Central Government shall not specify any institution, concern or undertaking under this sub-clause unless such institution, concern or undertaking is financed wholly or substantially by funds provided directly or indirectly by the Central Government or by one or more State Governments, or partly by the Central Government and partly by one or more State Governments.

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