धारा 22B यूएपीए एक्ट — सोसाइटियों या न्यासों द्वारा अपराध-
(1) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध, किसी सोसाइटी या न्यास द्वारा किया गया है, वहां ऐसा प्रत्येक व्यक्ति (जिसके अंतर्गत सोसाइटी का संप्रवर्तक या न्यास का व्यवस्थापक भी है), जो उस अपराध के किए जाने के समय उस सोसाइटी या न्यास के कारबार के संचालन के लिए उस सोसाइटी या न्यास का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह सोसाइटी या न्यास भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने के भागी होंगे :
परंतु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम में उपबंधित किसी दंड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि वह अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए तब सम्यक तत्परता बरती थी ।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी सोसाइटी या न्यास द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध सोसाइटी या न्यास के किसी संप्रवर्तक, निदेशक, प्रबंधक, सचिव, न्यासी या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है, वहां ऐसा संप्रवर्तक, निदेशक, प्रबंधक, सचिव, न्यासी या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा ।
स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजन के लिए, –
(क) “सोसाइटी” से सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का 21) या सोसाइटियों के रजिस्ट्रीकरण को शासित करने वाले किसी अन्य राज्य अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है;
(ख) “न्यास” से भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 (1882 का 2) या न्यासों के रजिस्ट्रीकरण को शासित करने वाले किसी अन्य राज्य अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत कोई निकाय अभिप्रेत है;
(ग) किसी सोसाइटी या न्यास के संबंध में, “निदेशक” से केंद्रीय या राज्य सरकार या समुचित कानूनी प्राधिकारी के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी पदेन सदस्य से भिन्न उसके शासी बोर्ड का कोई सदस्य अभिप्रेत है ।
Section 22B UAPA Act — Offences by societies or trusts.–
(1) Where an offence under this Act has been committed by a society or trust, every person (including the promoter of society or settlor of the trust) who at the time the offence was committed was in charge of, and was responsible to, the society or trust for the conduct of the business of the society or the trust, as well as the society or trust, shall be deemed to be guilty of the offence and shall be liable to be proceeded against and punished accordingly:
Provided that nothing contained in this sub-section shall render any such person liable to any punishment provided in this Act, if he proves that the offence was committed without his knowledge or that he exercised reasonable care to prevent the commission of such offence.
(2) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), where any offence under this Act has been committed by a society or trust and it is proved that the offence has been committed with the consent or connivance of, or is attributable to, any neglect on the part of any promoter, director, manager, secretary, trustee or other officer of the society or trust, such promoter, director, manager, secretary, trustee or other officer shall also be deemed to be guilty of that offence and shall be liable to be proceeded against and punished accordingly. धारा 22B यूएपीए एक्ट
Explanation.–For the purpose of this section,–
(a) “society” means any body corporate registered under the Societies Registration Act, 1860 (21 of 1860) or any other State Act governing the registration of societies;
(b) “trust” means any body registered under the Indian Trusts Act, 1882 (2 of 1882) or any other State Act governing the registration of trusts; धारा 22B यूएपीए एक्ट
(c) “director”, in relation to a society or trust, means a member of its governing board other than an ex officio member representing the interests of the Central or State Government or the appropriate statutory authority.]