धारा 25 यूएपीए एक्ट — अन्वेषण अधिकारी और अभिहित प्राधिकारी की शक्तियां और अभिहित प्राधिकारी के आदेश के विरुद्ध अपील-
(1) यदि अध्याय 4 या अध्याय 6 के अधीन किए गए किसी अपराध का अन्वेषण करने वाले किसी अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि कोई संपत्ति, जिसके संबंध में अन्वेषण किया जा रहा है, आतंकवाद के आगमों से है तो वह, उस राज्य के जिसमें ऐसी संपत्ति स्थित है, पुलिस महानिदेशक के लिखित में पूर्व अनुमोदन से, या जहाँ अन्वेषण ,रष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के किसी अधिकरी द्वारा किया जाता है , रष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के महानिदेशक के पूर्व अनुमोदन से ऐसी संपत्ति का अभिग्रहण करने का आदेश करेगा और जहां ऐसी संपत्ति को अभिग्रहण करना व्यवहार्य न हो, वहां यह निदेश देते हुए ऐसी संपत्ति की कुर्की का आदेश देगा कि उस संपत्ति को, ऐसा आदेश करने वाले अधिकारी या उस अभिहित प्राधिकारी की पूर्व अनुज्ञा के सिवाय अंतरित नहीं किया जाएगा या अन्यथा कार्यवाही नहीं की जाएगी, जिसके समक्ष अभिगृहीत या कुर्क की गई संपत्ति पेश की जाती है और उस आदेश की एक प्रति संबंधित व्यक्ति को भी भेजी जाएगी ।
(2) अन्वेषण अधिकारी, ऐसी संपत्ति के अभिग्रहण या उसकी कुर्की के अड़तालीस घंटों के भीतर अभिहित प्राधिकारी को उसकी सम्यक् सूचना देगा ।
(3) अभिहित प्राधिकारी, जिसके समक्ष अभिगृहीत या कुर्क की गई संपत्ति पेश की जाती है, ऐसे पेश किए जाने की तारीख से साठ दिन की अवधि के भीतर, इस प्रकार जारी किए गए अभिग्रहण या कुर्की के आदेश की या तो पुष्टि करेगा या उसे प्रतिसंहृत करेगा:
परंतु उस व्यक्ति को, जिसकी संपत्ति अभिगृहीत या कुर्क की जा रही है अभ्यावेदन देने का अवसर दिया जाएगा ।
(4) अन्वेषण अधिकारी द्वारा कुर्क की गई स्थावर संपत्ति की दशा में, उसे अभिहित प्राधिकारी के समक्ष तब पेश किया गया समझा जाएगा, जब अन्वेषण अधिकारी अपनी रिपोर्ट अधिसूचित करता है और उसे अभिहित प्राधिकारी के समक्ष कार्यवाही किए जाने के लिए रखता है ।
(5) अन्वेषण अधिकारी, ऐसी किसी नकदी को, जिसे यह अध्याय लागू होता है, अभिगृहीत कर सकेगा और उसे प्रतिधृत कर सकेगा, यदि उसके पास यह संदेह करने के लिए युक्तियुक्त आधार हैं कि,-
(क) वह किसी आतंकवाद के प्रयोजनों के संबंध में उपयोग किए जाने के लिए आशयित है; या
(ख) वह किसी आतंकवादी संगठन का संपूर्ण संसाधन या उसका भाग बनती है:
परंतु अन्वेषण अधिकारी द्वारा इस उपधारा के अधीन अभिगृहीत की गई नकदी उस समय से, जब उसे अभिगृहीत किया गया था, प्रारंभ होने वाले अड़तालीस घंटों की अवधि के भीतर तब तक निर्मुक्त नहीं की जाएगी, जब तक वह नकदी अंतवर्लित करने वाला मामला अभिहित प्राधिकारी के समक्ष न हो और उस प्राधिकारी ने उसके अड़तालीस घंटों से अधिक की प्रतिधारण की अनुज्ञा देने वाला आदेश न पारित किया हो ।
स्पष्टीकरण- इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, “नकदी” से निम्नलिखित अभिप्रेत हैं-
(क) किसी भी करेंसी में सिक्के या नोट;
(ख) पोस्टल आर्डर;
(ग) यात्री चैक;
(गक) क्रेडिट या डेबिट कार्ड या ऐसे कार्ड जो उनका जैसा प्रयोजन सिद्ध करते है;
(घ) बैंककार के ड्राफ्ट; और
(ङ) ऐसी अन्य धन संबंधी लिखतें, जिन्हें यथास्थिति, केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार लिखित में आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे ।
(6) अभिहित प्राधिकारी के द्वारा किए गए आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीस दिन की अवधि के भीतर, न्यायालय को अपील कर सकेगा और न्यायालय या तो इस प्रकार किए गए संपत्ति की कुर्की या अभिग्रहण के आदेश की पुष्टि कर सकेगा या ऐसे आदेश को प्रतिसंहृत कर सकेगा और संपत्ति को मुक्त कर सकेगा ।
Section 25 UAPA Act — Powers of investigating officer and Designated Authority and appeal against order of Designated Authority.
(1) If an officer investigating an offence committed under Chapter IV or Chapter VI, has reason to believe that any property in relation to which an investigation is being conducted, represents proceeds of terrorism, he shall, with the prior approval in writing of the Director General of the Police of the State 1[in which such property is situated, or where the investigation is conducted by an officer of the National Investigation Agency, with the prior approval of the Director General of National Investigation Agency, make an order] seizing such property and where it is not practicable to seize such property, make an order of attachment directing that such property shall not be transferred or otherwise dealt with except with the prior permission of the officer making such order, or of the Designated Authority before whom the property seized or attached is produced and a copy of such order shall be served on the person concerned.
(2) The investigating officer shall duly inform the Designated Authority within forty-eight hours of the seizure or attachment of such property.
(3) The Designated Authority before whom the seized or attached property is produced shall either confirm or revoke the order of seizure or attachment so issued within a period of sixty days from the date of such production:
Provided that an opportunity of making a representation by the person whose property is being seized or attached shall be given.
(4) In the case of immovable property attached by the investigating officer, it shall be deemed to have been produced before the Designated Authority, when the investigating officer notifies his report and places it at the disposal of the Designated Authority.
(5) The investigating officer may seize and detain any cash to which this Chapter applies if he has reasonable grounds for suspecting that– धारा 25 यूएपीए एक्ट
(a) it is intended to be used for the purposes of terrorism; or
(b) it forms the whole or part of the resources of a terrorist organisation:
Provided that the cash seized under this sub-section by the investigating officer shall be released within a period of forty-eight hours beginning with the time when it is seized unless the matter involving the cash is before the Designated Authority and such Authority passes an order allowing its retention beyond forty-eight hours. धारा 25 यूएपीए एक्ट
Explanation.–For the purposes of this sub-section, “cash” means–
(a) coins or notes in any currency;
(b) postal orders;
(c) traveller’s cheques;
2[(ca) credit or debit cards or cards that serve a similar purpose;]
(d) bankers drafts; and
(e) such other monetary instruments as the Central Government or, as the case may be, the State Government may specify by an order made in writing. धारा 25 यूएपीए एक्ट
(6) Any person aggrieved by an order made by the Designated Authority may prefer an appeal to the court within a period of thirty days from the date of receipt of the order, and the court may either confirm the order of attachment of property or seizure so made or revoke such order and release the property