धारा 3 यूएपीए एक्ट – किसी संगम के विधिविरुद्ध होने की घोषणा –
(1) यदि केन्द्रीय सरकार की यह राय हो कि कोई संगम विधिविरुद्ध संगम है, या होगा या है तो, वह ऐसे संगम को शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विधिविरुद्ध घोषित कर सकेगी ।
(2) ऐसी हर अधिसूचना में वे आधार जिन पर वह निकाली गई है तथा ऐसी अन्य विशिष्टियां, जिन्हें केन्द्रीय सरकार आवश्यक समझे, विनिर्दिष्ट होंगी :
परन्तु इस उपधारा में की गई कोई बात केन्द्रीय सरकार से किसी ऐसे तथ्य को प्रकट करने की योजना नहीं करेगी जिसे प्रकट करना वह लोकहित के विरुद्ध समझती है ।
(3) ऐसी कोई अधिसूचना तब तक प्रभावी नहीं होगी जब तक कि उसमें की गई घोषणा का अधिकरण ने, धारा 4 के अधीन किए गए किसी आदेश द्वारा, पुष्टि न कर दी हो और वह आदेश शासकीय राजपत्र में प्रकाशित न कर दिया गया हो :
परन्तु यदि केन्द्रीय सरकार की यह राय हो कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं जिनमें उस सरकार के लिए संगम को तात्कालिक प्रभाव से विधिविरुद्ध घोषित करना आवश्यक हो जाता है, तो. वह ऐसे कारणों से, जिन्हें लिखित रूप में कथित किया जाएगा, निर्देश दे सकेगी कि अधिसूचना, किसी ऐसे आदेश के अध्यधीन रहते हुए, जो धारा 4 के अधीन किया जाए, शासकीय राजपत्र में उसके प्रकाशन की तारीख से प्रभावी होगी ।
(4) ऐसी हर अधिसूचना शासकीय राजपत्र में प्रकाशित की जाने के अतिरिक्त कम से कम एक ऐसे दैनिक समाचारपत्र में प्रकाशित की जाएगी जिसका परिचालन उस राज्य में हो जिसमें प्रभावित संगम का प्रधान कार्यालय, यदि कोई हो, स्थित हो, और ऐसे संगम पर उसकी तामील भी ऐसी रीति से की जाएगी जैसी केन्द्रीय सरकार ठीक समझे तथा ऐसी तामील कराने में निम्नलिखित सभी या कोई ढंग अनुसरित किए जा सकेंगे, अर्थात् :-
(क) अधिसूचना की एक प्रति को संगम के कार्यालय के, यदि कोई हो, किसी सहजदृश्य भाग में लगाना ; अथवा
(ख) अधिसूचना की प्रति को जहां संभव हो, संगम के प्रधान पदाधिकारियों पर यदि कोई हों, तामील करना ; अथवा
(ग) अधिसूचना की अन्तर्वस्तुओं को उस क्षेत्र में जिसमें संगम के क्रियाकलाप मामूली तौर से किए जाते हैं डोंडी पिटवा कर या लाउडस्पीकरों द्वारा उद्घोषित करना ; अथवा
(घ) ऐसी अन्य रीति जो विहित की जाए ।
Section 3 UAPA Act – Declaration of an association as unlawful–
(1) If the Central Government is of opinion that any association is, or has become, an unlawful association, it may, by notification in the Official Gazette, declare such association to be unlawful.
(2) Every such notification shall specify the grounds on which it is issued and such other particulars as the Central Government may consider necessary:
Provided that nothing in this sub-section shall require the Central Government to disclose any fact which it considers to be against the public interest to disclose.
(3) No such notification shall have effect until the Tribunal has, by an order made under section 4, confirmed the declaration made therein and the order is published in the Official Gazette:
Provided that if the Central Government is of opinion that circumstances exist which render it necessary for that Government to declare an association to be unlawful with immediate effect, it may, for reasons to be stated in writing, direct that the notification shall, subject to any order that may be made under section 4, have effect from the date of its publication in the Official Gazette.
(4) Every such notification shall, in addition to its publication in the Official Gazette, be published in not less than one daily newspaper having circulation in the State in which the principal office, if any, of the association affected is situated, and shall also be served on such association in such manner as the Central Government may think fit and all or any of the following modes may be followed in effecting such service, namely:—
(a) by affixing a copy of the notification to some conspicuous part of the office, if any, of the association; or धारा 3 यूएपीए एक्ट
(b) by serving a copy of the notification, where possible, on the principal office-bearers, if any, of the association; or धारा 3 यूएपीए एक्ट
(c) by proclaiming by beat of drum or by means of loudspeakers, the contents of the notification in the area in which the activities of the association are ordinarily carried on; or
(d) in such other manner as may be prescribed.