धारा 30 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – साबित संस्वीकृति को, जो उसे करने वाले व्यक्ति तथा एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचारित अन्य को प्रभावित करती है विचार में लेना —
जबकि एक से अधिक ब्यक्ति एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचारित हैं तथा ऐसे व्यक्तियों में से किसी एक के द्वारा, अपने को और ऐसे व्यक्तियों में से किसी अन्य को प्रभावित करने वाली की गई संस्वीकृति को साबित किया जाता है, तब न्यायालय ऐसी संस्वीकृति को ऐसे अन्य व्यक्ति के विरुद्ध तथा ऐसे संस्वीकृति करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध विचार में ले सकेगा।
स्पष्टीकरण—इस धारा में प्रयुक्त “अपराध” शब्द के अन्तर्गत उस अपराध का दुष्प्रेरण या उसे करने का प्रयत्न आता है।
दृष्टांत
(क) क और ख को ग की हत्या के लिए संयुक्ततः विचारित किया जाता है। यह साबित किया जाता है कि क ने कहा, “ख और मैंने ग की हत्या की है।” ख के विरुद्ध इस संस्वीकृति के प्रभाव पर न्यायालय विचार कर सकेगा।
(ख) ग की हत्या करने के लिए क का विचारण हो रहा है । यह दर्शित करने के लिए साक्ष्य है कि ग की हत्या क और ख द्वारा की गई थी कि ख ने कहा था कि “क और मैंने ग की हत्या की है”।
न्यायालय इस कथन को क के विरुद्ध विचारार्थ नहीं ले सकेगा, क्योंकि ख संयुक्ततः विचारित नहीं हो रहा है।
Section 30 Indian Evidence Act – Consideration of proved confession affecting person making it and others jointly under trial for same offence –
When more persons than one are being tried jointly for the same offence, and a confession made by one of such persons affecting himself and some other of such persons is proved, the Court may take into consideration such confession as against such other person as well as against the person who makes such confession.
Explanation. ––“Offence” as used in this section, includes the abetment of, or attempt to commit, the offence.
Illustrations
(a) A and B are jointly tried for the murder of C. It is proved that A said ––“B and I murdered C”. The Court may consider the effect of this confession as against B. धारा 30 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
(b) A is on his trial for the murder of C. There is evidence to show that C was murdered by A and B, and that B said –– “A and I murdered C”.
This statement may not be taken into consideration by the Court against A, as B is not being jointly tried.