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धारा 31 परिसीमा अधिनियम | धारा 31 लिमिटेशन एक्ट | Section 31 Limitation Act in hindi

धारा 31 परिसीमा अधिनियम — वर्जित या लम्बित वादों आदि के बारे में उपबन्ध-

इस अधिनियम की कोई भी बात-

(क) ऐसे किसी भी वाद, अपील या आवेदन का संस्थित या किया जाना शक्य नहीं करेगी जिसके लिए इण्डियन लिमिटेशन ऐक्ट, 1908 (1908 का 9) द्वारा विहित परिसीमा काल का अवसान इस अधिनियम के प्रारम्भ होने के पहले हो गया हो; अथवा

(ख) ऐसे प्रारम्भ के पूर्व संस्थित या किए गए और ऐसे प्रारम्भ के समय लम्बित किसी भी वाद, अपील या आवेदन पर प्रभाव न डालेगी ।


Section 31 Limitation Act — Provisions as to barred or pending suits, etc–

Nothing in this Act shall,—


(a) enable any suit, appeal or application to be instituted, preferred or made, for which the period of limitation prescribed by the Indian Limitation Act, 1908 (9 of 1908), expired before the commencement of this Act; or



(b) affect any suit, appeal or application instituted, preferred or made before, and pending at, such commencement.


धारा 31 परिसीमा अधिनियम