धारा 39 एनडीपीएस एक्ट — कुछ अपराधियों को परिवीक्षा पर निर्मुक्त करने की न्यायालय की शक्ति –
(1) जब किसी व्यसनी को धारा 27 के अधीन या किसी स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ की अल्प मात्रा से संबंधित अपराधों के लिए दंडनीय किसी अपराध का दोषी पाया जाता है और यदि उस न्यायालय की, जिसके द्वारा वह दोषी पाया जाता है, अपराधी की आयु, चरित्र, पूर्ववृत्त अथवा शारीरिक या मानसिक दशा को ध्यान में रखते हुए, यह राय है कि ऐसा करना समीचीन है, तब इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, न्यायालय उसे तत्काल किसी कारावास से दण्डादिष्ट करने की बजाय, उसकी सहमति से यह निदेश दे सकेगा कि उसे सरकार द्वारा चलाए जा रहे या मान्यताप्राप्त किसी अस्पताल या संस्था से निराविषीकरण या निराव्यसन के लिए चिकित्सीय उपचार कराने के लिए और न्यायालय के समक्ष एक वर्ष से अनधिक की अवधि के भीतर हाजिर होने और अपने चिकित्सीय उपचार के परिणाम के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए या इस बीच अध्याय 4 के अधीन किसी अपराध को करने से प्रविरत रहने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित प्ररूप में, प्रतिभुओं सहित या उनके बिना, बन्धपत्र निष्पादित करने पर निर्मुक्त किया जाए ।
(2) यदि चिकित्सीय उपचार के परिणाम के बारे में उपधारा (1) के अधीन प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि ऐसा करना समीचीन है तो न्यायालय अपराधी को उसके द्वारा तीन वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के दौरान, जो न्यायालय विनिर्दिष्ट करना ठीक समझे, अध्याय 4 के अधीन कोई अपराध करने से प्रविरत रहने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित प्ररूप में प्रतिभुओं सहित या उनके बिना बन्धपत्र निष्पादित किए जाने पर, सम्यक् भर्त्सना के पश्चात् निर्मुक्त किए जाने, अथवा उसके इस प्रकार प्रविरत रहने में असफल रहने पर न्यायालय के समक्ष हाजिर होने और ऐसी अवधि के दौरान जब अपेक्षा की जाए दण्डादेश प्राप्त करने के लिए निदेश दे सकेगा ।
Section 39 NDPS Act — Power of court to release certain offenders on probation —
(1) When any addict is found guilty of an offence punishable under section 27 1[or for offences relating to small quantity of any narcotic drug or psychotropic substance] and if the court by which he is found guilty is of the opinion, regard being had to the age, character, antecedents or physical or mental condition of the offender, that it is expedient so to do, then, notwithstanding anything contained in this Act or any other law for the time being in force, the court may, instead of sentencing him at once to any imprisonment, with his consent, direct that he be released for undergoing medical treatment for de-toxification or de-addiction from a hospital or an institution maintained or recognised by Government and on his entering into a bond in the form prescribed by the Central Government, with or without sureties, to appear and furnish before the court within a period not exceeding one year, a report regarding the result of his medical treatment and, in the meantime, to abstain from the commission of any offence under Chapter IV. धारा 39 एनडीपीएस एक्ट
(2) If it appears to the court, having regard to the report regarding the result of the medical treatment furnished under sub-section (1), that it is expedient so to do, the court may direct the release of the offender after due admonition on his entering into a bond in the form prescribed by the Central Government, with or without sureties, for abstaining from the commission of any offence under Chapter IV during such period not exceeding three years as the court may deem fit to specify or on his failure so to abstain, to appear before the court and receive sentence when called upon during such period.