धारा 44 यूएपीए एक्ट — साक्षियों का संरक्षण-
(1) इस संहिता में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन कार्यवाहियां लिखित में अभिलिखित किए जाने वाले कारणों से, यदि न्यायालय ऐसा चाहे तो, बंद कमरे में की जा सकेंगी ।
(2) यदि न्यायालय का, उसके समक्ष किसी कार्यवाही में किसी साक्षी द्वारा या ऐसे साक्षी के संबंध में लोक अभियोजक द्वारा किए गए आवेदन पर या स्वप्रेरणा से यह समाधान हो जाता है कि ऐसे साक्षी का जीवन खतरे में है तो वह, लिखित में, अभिलिखित किए जाने वाले कारणों से, ऐसे साक्षी की पहचान और पता गुप्त रखने वाला ऐसा उपाय कर सकेगा, जो वह ठीक समझे ।
(3) विशिष्टतया और उपधारा (2) के उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना उन उपायों में, जिन्हें न्यायालय उस उपधारा के अधीन कर सकेगा, निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे,-
(क) उस स्थान पर कार्यवाहियों का किया जाना, जिसका विनिश्चय न्यायालय द्वारा किया जाएगा;
(ख) अपने आदेशों या निर्णयों या मामले के किन्हीं अन्य अभिलेखों में, जो जनता तक पहुंच योग्य हैं, साक्षियों के नाम और पते के उल्लेख से बचना;
(ग) यह सुनिश्चित करने के लिए कोई निदेश जारी करना कि साक्षियों की पहचान और पता प्रकट नहीं किए जाते हैं;
(घ) यह विनिश्चय कि ऐसा आदेश करना लोक हित में है कि ऐसे न्यायालय के समक्ष लंबित सभी या कोई कार्यवाही किसी रीति में प्रकाशित नहीं की जाएगी ।
(4) कोई व्यक्ति जो उपधारा (3) के अधीन जारी किए गए किसी विनिश्चय या निदेश का उल्लंघन करेगा, कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।
Section 44 UAPA Act — Protection of witnesses-
(1) Notwithstanding anything contained in the Code, the proceedings under this Act may, for reasons to be recorded in writing, be held in camera if the court so desires.
(2) A court, if on an application made by a witness in any proceeding before it or by the Public Prosecutor in relation to such witness or on its own motion, is satisfied that the life of such witness is in danger, it may, for reasons to be recorded in writing, take such measures as it deems fit for keeping the identity and address of such witness secret.
(3) In particular, and without prejudice to the generality of the provisions of sub-section (2), the measures which a court may take under that sub-section may include—
(a) the holding of the proceedings at a place to be decided by the court;
(b) the avoiding of the mention of the name and address of the witness in its orders or judgments or in any records of the case accessible to public;
(c) the issuing of any directions for securing that the identity and address of the witness are not disclosed; धारा 44 यूएपीए एक्ट
(d) a decision that it is in the public interest to order that all or any of the proceedings pending before such a court shall not be published in any manner. धारा 44 यूएपीए एक्ट
(4) Any person who contravenes any decision or direction issued under sub-section (3), shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine.