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धारा 45 विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप अधिनियम | धारा 45 यूएपीए एक्ट | Section 45 UAPA Act in hindi

धारा 45 यूएपीए एक्ट — अपराधों का संज्ञान-

(1) कोई न्यायालय, –

(i) अध्याय 3 के अधीन, केन्द्रीय सरकार या इस निमित्त केन्द्रीय सरकार द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी की पूर्व मंजूरी के बिना;

(ii) अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना और यदि ऐसा अपराध विदेशी सरकार के विरुद्ध किया जाता है, वहां केन्द्रीय सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना,

किसी अपराध का संज्ञान नहीं लेगा ।

(2) उपधारा (1) के अधीन अभियोजन के लिए मंजूरी, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त ऐसे प्राधिकारी की रिपोर्ट पर विचार करने के पश्चात् ही ऐसे समय के भीतर दी जाएगी, जो विहित किया जाए जो अन्वेषण के अनुक्रम में एकत्रित साक्ष्य का स्वतंत्र रूप से पुनर्विलोकन करेगा और, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार को ऐसे समय के भीतर, जो विहित किया जाए, सिफारिश करेगा ।


Section 45 UAPA Act — Cognizance of offences –

1[(1)] No court shall take cognizance of any offence–


(i) under Chapter III without the previous sanction of the Central Government or any officer authorised by the Central Government in this behalf;


(ii) under Chapter IV and VI without the previous sanction of the Central Government or, as the case may be, the State Government, and 2[if] such offence is committed against the Government of a foreign country without the previous sanction of the Central Government.


3[(2) Sanction for prosecution under sub-section (1) shall be given within such time as may be prescribed only after considering the report of such authority appointed by the Central Government or, as the case may be, the State Government which shall make an independent review of the evidence gathered in the course of investigation and make a recommendation, within such time as may be prescribed, to the Central Government or, as the case may be, the State Government.

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