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धारा 46 विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप अधिनियम | धारा 46 यूएपीए एक्ट | Section 46 UAPA Act in hindi

धारा 46 यूएपीए एक्ट — संसूचनाओं के अंतर्रोधन के माध्यम से संगृहीत साक्ष्य की ग्राह्यता-

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, भारतीय तार अधिनियम, 1885 (1885 का 13) या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 2) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंधों के अधीन तार, इलेक्ट्रॉनिक या मौखिक संसूचना के अन्तर्रोधन के माध्यम से संगृहीत साक्ष्य, किसी मामले के विचारण के दौरान किसी न्यायालय में अभियुक्त के विरुद्ध साक्ष्य के रूप में ग्राह्य होगा :

                परंतु अन्तर्रोधित किसी तार, इलेक्ट्रॉनिक या मौखिक संसूचना की अंतर्वस्तु या उससे व्युत्पन्न साक्ष्य किसी न्यायालय में किसी विचारण, सुनवाई या अन्य कार्यवाही में तब तक साक्ष्य में ग्रहण नहीं किया जाएगा या अन्यथा प्रकट नहीं किया जाएगा जब तक कि प्रत्येक अभियुक्त को उस पूर्वोक्त विधि के अधीन, जिसके अधीन, अन्तर्रोधन का निदेश किया गया था, सक्षम प्राधिकारी के आदेश की प्रति, विचारण, सुनवाई या कार्यवाही के कम से कम दस दिन पूर्व न दे दी गई हो:

                परंतु यह और कि मामले का विचारण कर रहे न्यायाधीश द्वारा दस दिन की अवधि का अधित्याग किया जा सकेगा, यदि वह इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि विचारण, सुनवाई या कार्यवाही के दस दिन पूर्व ऐसा आदेश अभियुक्त को दिया जाना संभव नहीं था और ऐसे आदेश के प्राप्त करने में विलंब से अभियुक्त पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

Section 46 UAPA Act — Admissibility of evidence collected through the interception of communications-

Notwithstanding anything contained in the Indian Evidence Act, 1872 (1 of 1872) or any other law for the time being in force, the evidence collected through the interception of wire, electronic or oral communication under the provisions of the Indian Telegraph Act, 1885 (13 of 1885) or the Information Technology Act, 2000 (21 of 2000) or any other law for the time being in force, shall be admissible as evidence against the accused in the court during the trial of a case:


Provided that the contents of any wire, electronic or oral communication intercepted or evidence derived therefrom shall not be received in evidence or otherwise disclosed in any trial, hearing or other proceeding in any court unless each accused has been furnished with a copy of the order of the competent authority under the aforesaid law, under which the interception was directed, not less than ten days before trial, hearing or proceeding: धारा 46 यूएपीए एक्ट


Provided further that the period of ten days may be waived by the judge trying the matter, if he comes to the conclusion that it was not possible to furnish the accused with such order ten days before the trial, hearing or proceeding and that the accused shall not be prejudiced by the delay in receiving such order.

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