धारा 47 यूएपीए एक्ट — अधिकारिता का वर्जन-
(1) इस अधिनियम में जैसा अन्यथा अभिव्यक्त रूप से उपबंधित है उसके सिवाय इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार या जिला मजिस्ट्रेट या केन्द्रीय सरकार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी द्वारा की गई कोई कार्यवाही किसी सिविल न्यायालय में किसी वाद या आवेदन या अपील अथवा पुनरीक्षण के रूप में प्रश्नगत नहीं की जाएगी और इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में की गई या की जाने वाली किसी कार्यवाही के संबंध में किसी सिविल न्यायालय या अन्य प्राधिकारी द्वारा कोई व्यादेश मंजूर नहीं किया जाएगा ।
(2) उपधारा (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी कोई सिविल न्यायालय या अन्य प्राधिकारी, धारा 36 में निर्दिष्ट मामलों के संबंध में कोई अधिकारिता, शक्तियां या प्राधिकार नहीं रखेगा या उसका प्रयोग करने का हकदार नहीं होगा ।
Section 47 UAPA Act — Bar of jurisdiction-
(1) Save as otherwise expressly provided in this Act, no proceeding taken under this Act by the Central Government or the District Magistrate or any officer authorised in this behalf by the Central Government or the District Magistrate, shall be called in question in any civil court in any suit or application or by way of appeal or revision, and no injunction shall be granted by any civil court or other authority in respect of any action taken or to be taken in pursuance of any power conferred by or under this Act.
(2) Notwithstanding anything contained in sub-section (1), no civil court or other authority shall have, or be entitled to exercise, any jurisdiction, powers or authority in relation to the matters referred to in section 36.