धारा 5 परिसीमा अधिनियम — विहित काल का कतिपय दशाओं में विस्तारण-
कोई भी अपील या कोई भी आवेदन, जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के आदेश 21 के उपबंधों में से किसी के अधीन के आवेदन से भिन्न हो, विहित काल के पश्चात् ग्रहण किया जा सकेगा यदि अपीलार्थी या आवेदक, न्यायालय का यह समाधान कर दे कि उसके पास ऐसे काल के भीतर अपील या आवेदन न करने के लिए पर्याप्त हेतुक था ।
स्पष्टीकरण- यह तथ्य कि अपीलार्थी या आवेदक विहित काल का अभिनिश्चय या संगणना करने में उच्च न्यायालय के किसी आदेश, पद्धति या निर्णय के कारण भुलावे में पड़ गया था, इस धारा के अर्थ के भीतर पर्याप्त हेतुक हो सकेगा ।
Section 5 Limitation Act — Extension of prescribed period in certain cases —
Any appeal or any application, other than an application under any of the provisions of Order XXI of the Code of Civil Procedure, 1908 (5 of 1908), may be admitted after the prescribed period if the appellant or the applicant satisfies the court that he had sufficient cause for not preferring the appeal or making the application within such period.
Explanation.–The fact that the appellant or the applicant was misled by any order, practice or judgment of the High Court in ascertaining or computing the prescribed period may be sufficient cause within the meaning of this section.