धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – विवाधक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेगा —
किसी वाद या कार्यवाही में हर विवाद्यक तथ्य के और ऐसे अन्य तथ्यों के, जिन्हें एतस्मिन्-पश्चात् सुसंगत घोषित किया गया है, अस्तित्व या अनस्तित्व का साक्ष्य दिया जा सकेगा और किन्हीं अन्यों का नहीं।
स्पष्टीकरण -- यह धारा किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने के लिए योग्य नहीं बनाएगी, जिससे सिविल प्रक्रिया से संबंधित किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के किसी उपबंध द्वारा वह साबित करने से निर्हकित कर दिया गया है।
दृष्टांत
(क) ख की मृत्युकारित करने के आशय से उसे लाठी मारकर उसकी हत्या कारित करने के लिए क का विचारण किया जाता है। क के विचारण में निम्नलिखित तथ्य विवाद्य हैं :- क का ख को लाठी से मारना; क का ऐसी मार द्वारा ख की मृत्यु कारित करना; ख की मृत्यु कारित करने का क का आशय।
(ख) एक वादकर्ता अपने साथ वह बंधपत्र, जिस पर वह निर्भर करता है, मामले की पहली सुनवाई पर अपने साथ नहीं लाता और पेश करने के लिए तैयार नहीं रखता। यह धारा उसे इस योग्य नहीं बनाती कि सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा विहित शर्तों के अनुकूल वह उस कार्यवाही के उत्तरवर्ती प्रक्रम में उस बंधपत्र को पेश कर सके या उसकी अंतर्वस्तु को साबित कर सके।
धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम FAQ
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धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्या है?
विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेगा।
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विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेगा की धारा कौन सी है ?
धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की किस धारा को साक्ष्य विधि की आधारशिला कहा जा सकता है?
धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम |
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धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम का मुख्य उद्देश्य क्या व्यवस्था करना है?
साक्ष्य के क्षेत्र को सीमित करना ताकि न्याय में अनावश्यक विलम्ब एवं खर्चे से बचा जा सके।
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‘ख’ की मृत्यु कारित करने के आशय से लाठी मारकर उसकी हत्या कारित करने के लिए ‘क’ का विचारण किया जाता है। ‘क’ के विचारण में कौन से तथ्य विवाद्यक होंगे?
क के विचारण में निम्नवत् तथ्य विवाद्यक होंगे
(I) ‘क’ का ‘ख’ को लाठी से मारना।
(2) ‘क’ की ऐसी मार द्वारा ‘ख’ की मृत्यु कारित करना।
(3) ‘ख’ की मृत्यु कारित करने का ‘क’ का आशय आदि। -
तथ्यों की सुसंगति के बारे में सिद्धान्त की व्याख्या किस प्रसिद्ध मामले में की गयी है?
तथ्यों की सुसंगति के बारे में सिद्धांत की व्याख्या आर. बनाम रिचर्डसन के मामले में की गयी है।
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सुसंगतता एवं ग्राह्यता में क्या अन्तर है?
सुसंगतता एवं ग्राह्यता प्रमुख अन्तर निम्नवत हैं-
(1) सुसंगतता तथ्य का विषय है जबकि ग्राह्यता विधि का
(2) सुसंगत तथ्य अनिवार्य रूप से ग्राह्य हो, यह आवश्यक नहीं है जबकि ग्राह्य तथ्य को अनिवार्य रूप से सुसंगत होना आवश्यक है।
(3) ग्राह्यता सुसंगतता की पूर्व शर्त नहीं है जबकि सुसंगतता ग्राह्यता की पूर्व शर्त है।
(4) सुसंगतता एक जाति (Genus) है जबकि ग्राह्यता एक उप जाति (Species) है।
(5) सुसंगतता में तर्क की शक्ति है जबकि ग्राह्यता में विधि की । -
‘सभी ग्राह्य साक्ष्य सुसंगत है किन्तु सभी सुसंगत साक्ष्य ग्राह्य नहीं है।’ न्यायालय साक्ष्य की ग्राह्यता का प्रश्न किस धारा में निश्चित करेगा?
धारा 136
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ग्राह्यता’ का क्या अर्थ है?
साक्ष्य में स्वीकार करने की योग्यता से।
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विवाद्यक तथ्य तथा सुसंगत तथ्य को क्रमश: क्या कहा जाता है?
मुख्य तथ्य (Factum Probandum) तथा ‘साक्ष्यात्मक तथ्य ( Factum Probans) l
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स्टीफेन महोदय ने सुसंगत तथ्य की क्या परिभाषा प्रस्तुत की है?
स्टीफेन महोदय के अनुसार – “सुसंगत तथ्य” से तात्पर्य उस तथ्य से है, जो कि घटनाओं के क्रमानुसार या तो अकेले ही से या अन्य तथ्यों के साथ मिलकर किसी दूसरे तथ्य के वर्तमान और भविष्य के अस्तित्व या अनस्तित्व को साबित करता है या समभाव्य बनाता है।
Section 5 Indian Evidence Act – Evidence may be given of facts in issue and relevant facts —
Evidence may be given in any suit or proceeding of the existence or non-existence of every fact in issue and of such other facts as are hereinafter declared to be relevant, and of no others. धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
Explanation —This section shall not enable any person to give evidence of a fact which he is disentitled to prove by any provision of the law for the time being in force relating to Civil Procedure. धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
Illustrations
(a) A is tried for the murder of B by beating him with a club with the intention of causing his death. धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम
At A’s trial the following facts are in issue :-
A’s beating B with the club;
A’s causing B’s death by such beating;
A’s intention to cause B’s death.
(b) A suitor does not bring with him, and have in readiness for production at the first hearing of the case, a bond on which he relies. This section does not enable him to produce the bond or prove its contents at a subsequent stage of the proceedings, otherwise than in accordance with the conditions prescribed by the Code of Civil Procedure.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें –
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम – राजाराम यादव
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम – बटुक लाल
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम – Bare Act (Diglot)