धारा 52 यूएपीए एक्ट — नियम बनाने की शक्ति-
(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन के लिए नियम बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्: –
(क) इस अधिनियम के अधीन जारी की गई सूचनाओं या किए गए आदेशों की तामील और वह रीति जिसमें ऐसी सूचनाओं या आदेशों की वहां तामील की जा सकेगी जहां वह व्यक्ति, जिस पर तामील की जानी है, निगम, कंपनी, बैंक या अन्य संगम हैं;
(ख) इस अधिनियम के अधीन कोई जांच करने या किसी आवेदन का निपटारा करने में अधिकरण या जिला न्यायाधीश द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया;
(ग) धारा 28 की उपधारा (2) के अधीन समपहृत संपत्ति की कीमत का अवधारण;
(घ) धारा 36 की उपधारा (3) के अधीन किसी आवेदन को ग्रहण करने और उसे निपटाने के लिए प्रक्रिया;
(ङ) धारा 37 की उपधारा (2) के अधीन पुनर्विलोकन समिति के सदस्यों की अर्हताएं; और
(ङङ) वह समय जिसके भीतर धारा 45 की उपधारा (2) के अधीन अभियोजन के लिए मंजूरी दी जाएगी और केन्द्रीय सरकार को सिफारिश की जाएगी; और
(च) कोई अन्य विषय, जिसे विहित किया जाना है या जो विहित किया जाए ।
Section 52 UAPA Act — Power to make rules –
(1) The Central Government may, by notification in the Official Gazette, make rules for carrying out the provisions of this Act.
(2) In particular, and without prejudice to the generality of the foregoing powers, such rules may provide for all or any of the following matters, namely:—
(a) the service of notices or orders issued or made under this Act and the manner in which such notices or orders may be served, where the person to be served is a corporation, company, bank or other association;
(b) the procedure to be followed by the Tribunal or a District Judge in holding any inquiry or disposing of any application under this Act;
(c) determination of the price of the forfeited property under sub-section (2) of section 28;
(d) the procedure for admission and disposal of an application under sub-section (3) of section 36;
(e) the qualifications of the members of the Review Committee under sub-section (2) of section 37; and धारा 52 यूएपीए एक्ट
1[(ee) the time within which sanction for prosecution and recommendation to the Central Government shall be given under sub-section (2) of section 45, and]
(f) any other matter which is required to be, or may be, prescribed.