धारा 53A एनडीपीएस एक्ट — कतिपय परिस्थितियों में कथनों की सुसंगति –
(1) अपराधों का अन्वेषण करने के लिए धारा 53 के अधीन सशक्त किसी अधिकारी के समक्ष, ऐसे अधिकारी द्वारा की गई किसी जांच या कार्यवाही के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा किया गया और हस्ताक्षरित कोई कथन उसमें अंतर्विष्ट तथ्यों की सत्यता साबित करने के प्रयोजन के लिए, इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए किसी अभियोजन में, सुसंगत होगा –
(क) जब ऐसा कथन करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गई है या वह मिल नहीं सकता है या साक्ष्य देने में असमर्थ है या प्रतिपक्ष द्वारा उसे पहुंच के बाहर कर दिया गया है या जिसकी उपस्थिति इतने विलंब या व्यय के बिना जितना कि मामले की परिस्थितियों में, न्यायालय अयुक्तियुक्त समझता है, अभिप्राप्त नहीं की जा सकती है; या
(ख) जब कथन करने वाले व्यक्ति की न्यायालय के समक्ष मामले में साक्षी के रूप में परीक्षा की जाती है और मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय की राय है कि न्याय के हित में, कथन का साक्ष्य में ग्रहण कर लिया जाना चाहिए ।
(2) उपधारा (1) के उपबंध, जहां तक हो सके, इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों या आदेशों के अधीन किसी कार्यवाही के संबंध में, जो किसी न्यायालय के समक्ष कार्यवाही से भिन्न है, उसी प्रकार लागू होंगे जैसे वे किसी न्यायालय के समक्ष किसी कार्यवाही के संबंध में लागू होते हैं ।
Section 53A NDPS Act — Relevancy of statements under certain circumstances.–
(1) A statement made and signed by a person before any officer empowered under section 53 for the investigation of offences, during the course of any inquiry or proceedings by such officer, shall be relevant for the purpose of proving, in any prosecution for an offence under this Act, the truth of the facts which it contains,
(a) when the person who made the statement is dead or connot be found, or is incapable of giving evidence, or is kept out of the way by the adverse party, or whose presence cannot be obtained without an amount of delay or expense which, under the circumstances of the case, the court considers unreasonable; or
(b) when the person who made the statement is examined as a witness in the case before the court and the court is of the opinion that, having regard to the circumstances of the case, the statement should be admitted in evidence in the interest of justice. धारा 53A एनडीपीएस एक्ट
(2) The provisions of sub-section (1) shall, so far as may be, apply in relation to any proceedings under this Act or the rules or orders made thereunder, other than a proceeding before a court, as they apply in relation to a proceeding before a court.