धारा 68 भारतीय साक्ष्य अधिनियम – ऐसी दस्तावेज के निष्पादन का साबित किया जाना जिसका अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित है —
यदि किसी दस्तावेज का अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित है, तो उसे साक्ष्य के रूप में उपयोग में न लाया जाएगा, जब तक कि कम से कम एक अनुप्रमाणक साक्षी, यदि कोई अनुप्रमाणक साक्षी जीवित और न्यायालय की आदेशिका के अध्यधीन हो तथा साक्ष्य देने के योग्य हो, उसका निष्पादन साबित करने के प्रयोजन से न बुलाया गया हो:
परन्तु ऐसी किसी दस्तावेज के निष्पादन को साबित करने के लिए, जो विल नहीं है, और जो भारतीय रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 (1908 का 16) के उपबन्धों के अनुसार रजिस्ट्रीकृत है, किसी अनुप्रमाणक साक्षी को बुलाना आवश्यक न होगा, जब तक कि उसके निष्पादन का प्रत्याख्यान उस व्यक्ति द्वारा जिसके द्वारा उसका निष्पादित होना तात्पर्यित है, विनिर्दिष्टतः न किया गया हो।
Section 68 Indian Evidence Act – Proof of execution of document required by law to be attested —
If a document is required by law to be attested, it shall not be used as evidence until one attesting witness at least has been called for the purpose of proving its execution, if there be an attesting witness alive, and subject to the process of the Court and capable of giving evidence:
1[Provided that it shall not be necessary to call an attesting witness in proof of the execution of any document, not being a will, which has been registered in accordance with the provisions of the Indian Registration Act, 1908 (16 of 1908), unless its execution by the person by whom it purports to have been executed is specifically denied.]
1. Ins. by Act 31 of 1926, s. 2.