धारा 7 यूएपीए एक्ट – किसी विधिविरुद्ध संगम की निधियों से उपयोग का प्रतिबंध करने की शक्ति-
(1) जहां कि धारा 3 के अधीन निकाली गई अधिसूचना द्वारा, जो उस धारा की उपधारा (3) के अधीन प्रभावी हो गई है, कोई संगम विधिविरुद्ध घोषित किया जा चुका है और केन्द्रीय सरकार का ऐसी जांच के पश्चात्, जैसी वह ठीक समझे, समाधान हो गया है कि किसी व्यक्ति की अभिरक्षा में कोई ऐसे धन, प्रतिभूतियां या पावने हैं जो उस विधिविरुद्ध संगम के प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं या उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित हैं वहां, केन्द्रीय सरकार ऐसे व्यक्ति को, ऐसे धनों, प्रतिभूतियों या पावनों को, या किन्हीं अन्य ऐसे धनों, प्रतिभूतियों या पावनों को, जो उस आदेश के किए जाने के पश्चात् उसकी अभिरक्षा में जाएं, केन्द्रीय सरकार के लिखित आदेशों के अनुसार के सिवाय, संदत्त, परिदत्त, या अन्तरित करने या उनके किसी भी रीति से अन्यथा बरतने से, लिखित आदेश द्वारा, प्रतिषिद्ध कर सकेगी, और ऐसे आदेश की एक प्रति की तामील इस प्रकार प्रतिषिद्ध व्यक्ति पर उपधारा (3) में विनिर्दिष्ट रीति से की जाएगी ।
(2) केन्द्रीय सरकार उपधारा (1) के अधीन किए गए प्रतिषेधात्मक आदेश की एक प्रति अन्वेषणार्थ सरकार के किसी ऐसे राजपत्रित अधिकारी को पृष्ठांकित कर सकेगी, जिसे वह चुने, और ऐसी प्रति ऐसा अधिपत्र होगी जिसके अधीन ऐसा अधिकारी उस व्यक्ति के, जिसे वह आदेश निर्दिष्ट है, किसी परिसर में या उस पर प्रवेश कर सकेगा, ऐसे व्यक्ति की पुस्तकों की परीक्षा कर सकेगा, धनों,एवं प्रतिभूतियों और पावनों के लिए तलाशी ले सकेगा, और किन्हीं ऐसे धनों, प्रतिभूतियों या पावनों में, जिनके बारे में, अन्वेषण अधिकारी को संदेह हो कि वे विधिविरुद्ध संगम के प्रयोजन के लिए आशयित हैं, दिए गए किन्हीं ब्यौहारों के उद्गम के सम्बन्ध में ऐसे व्यक्ति या ऐसे व्यक्ति के किसी आफिसर, अभिकर्ता या सेवक से पूछताछ कर सकेगा ।
(3) इस धारा के अधीन किए गए किसी आदेश की प्रति की तामील, उस रीति से की जाएगी जो समन की तामील के लिए संहिता में उपबन्धित है या जहां कि वह व्यक्ति जिस पर तामील किया जाना है, कोई निगम, कम्पनी, बैंक या अन्य संगम है उसकी तामील उसके प्रबन्ध से संपृक्त किसी सचिव, निदेशक या अन्य अधिकारी या व्यक्ति पर की जाएगी या, उस प्रति को निगम, कम्पनी, बैंक या अन्य संगम के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय में या जहां कि कोई रजिस्ट्रीकृत कार्यालय नहीं है वहां उस स्थान पर, जहां वह कारबार चलाता है, छोड़कर या उसके पते पर डाक द्वारा भेज कर की जाएगी ।
(4) उपधारा (1) के अधीन किए गए प्रतिषेधात्मक आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, ऐसे आदेश की तामील की तारीख से पन्द्रह दिन के भीतर, उस जिला न्यायालय में, जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर ऐसा व्यक्ति स्वेच्छया निवास करता है या कारबार चलाता है या अभिलाभ के लिए स्वयं कार्य करता है, यह सिद्ध करने के लिए आवेदन कर सकेगा कि जिन धनों, प्रतिभूतियों या पावनों के सम्बन्ध में वह प्रतिषेधात्मक आदेश किया गया है, वे विधिविरुद्ध संगम के प्रयोजन के लिए उपभोग में नहीं लाए जा रहे हैं या उपभोग में लाए जाने के लिए आशयित नहीं हैं, और जिला न्यायाधीश का न्यायालय इस प्रश्न का विनिश्चय करेगा ।
(5) उपधारा (2) के अधीन किए गए किसी अन्वेषण के अनुक्रम में प्राप्त कोई भी सूचना, वहां तक के सिवाय जहां तक कि वह इस धारा के अधीन की किन्हीं कार्यवाहियों के प्रयोजनार्थ आवश्यक हो, सरकार के किसी राजपत्रित अधिकारी द्वारा, केन्द्रीय सरकार की सम्मति के बिना, प्रकट नहीं की जाएगी ।
(6) इस धारा में, “प्रतिभूति” के अन्तर्गत ऐसी दस्तावेज आती है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति यह अभिस्वीकृति करता है कि वह धन का संदाय करने के लिए किसी वैध दायित्व के अधीन है या जिसके अधीन किसी व्यक्ति को धन के संदाय के लिए कोई वैध अधिकार अभिप्राप्त होता है ।
Section 7 UAPA Act – Power to prohibit the use of funds of an unlawful association —
(1) Where an association has been declared unlawful by a notification issued under section 3 which has become effective under sub-section (3) of that section and the Central Government is satisfied, after such inquiry as it may think it, that any person has custody of any moneys, securities or credits which are being used or are intended to be used for the purpose of the unlawful association, the Central Government may, by order in writing, prohibit such person from paying, delivering, transferring or otherwise dealing in any manner whatsoever with such moneys, securities or credits or with any other moneys, securities or credits which may come into his custody after the making of the order, save in accordance with the written orders of the Central Government and a copy of such order shall be served upon the person so prohibited in the manner specified in sub-section (3).
(2) The Central Government may endorse a copy of the prohibitory order made under sub-section (1) for investigation to any gazetted officer of the Government it may select, and such copy shall be a warrant whereunder such officer may enter in or upon any premises of the person to whom the order is directed, examine the books of such person, search for moneys, securities or credits, and make inquiries from such person or any officer, agent or servant of such person, touching the origin of any dealings in any moneys, securities or credits which the investigating officer may suspect are being used or are intended to be used for the purpose of the unlawful association. धारा 7 यूएपीए एक्ट
(3) A copy of an order made under this section shall be served in the manner provided in the 1[Code], for the service of a summons, or where the person to be served is a corporation, company, bank or other association, it shall be served on any secretary, director or other officer or person concerned with the management thereof, or by leaving it or sending it by post addressed to the corporation, company, bank or other association at its registered office, or where there is no registered office, at the place where it carries on business.
(4) Any person aggrieved by a prohibitory order made under sub-section (1) may, within fifteen days from the date of the service of such order, make an application to the Court of the District Judge within the local limits of whose jurisdiction such person voluntarily resides or carries on business or personally works for gain, to establish that the moneys, securities or credits in respect of which the prohibitory order has been made are not being used or are not intended to be used for the purpose of the unlawful association and the Court of the District Judge shall decide the question. धारा 7 यूएपीए एक्ट
(5) Except so far as is necessary for the purposes of any proceedings under this section, no information obtained in the course of any investigation made under sub-section (2) shall be divulged by any gazetted officer of the Government, without the consent of the Central Government. धारा 7 यूएपीए एक्ट
(6) In this section, “security” includes a document whereby any person acknowledges that he is under a legal liability to pay money, or whereunder any person obtains a legal right to the payment of money.
1. Subs. by s. 3, ibid., for “Code of Criminal Procedure, 1898 (5 of 1898)” (w.e.f. 21-9-2004).