संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 53 – कपटपूर्ण अंतरण-
(1) स्थावर सम्पत्ति का हर एक ऐसा अन्तरण, जो अन्तरक के लेनदारों को विफल करने या उन्हें देरी कराने के आशय से किया गया है, ऐसे किसी भी लेनदार के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा जिसे इस प्रकार विफल या देरी कराई गई है।
इस उपधारा की कोई भी बात किसी सदभावपूर्ण सप्रतिफल अन्तरिती के अधिकारों का ह्रास न करेगी। इस उपधारा की कोई भी बात दिवाला सम्बन्धी किसी तत्समय-प्रवृत्त-विधि पर प्रभाव नहीं डालेगी।
वह वाद, जो किसी लेनदार ने (जिस शब्द के अन्तर्गत डिक्रीदार आता है चाहे उसने अपनी डिक्री के निष्पादन के लिए आवेदन किया हो या नहीं) किसी अन्तरण को इस आधार पर शून्य कराने के लिए संस्थित किया है कि वह् अन्तरण, अन्तरक के लेनदारों को विफल करने या उन्हें देरी कराने के आशय से किया गया है उन सब लेनदारों की ओर से या के फायदे के लिए संस्थित किया जाएगा।
(2) स्थावर सम्पत्ति का हर एक ऐसा अन्तरण, जो पाश्चिक अन्तरिती को कपटबंचित करने के आशय से प्रतिफल के बिना किया गया है, ऐसे अन्तरिती के विकल्प पर शून्यकरणीय होगा।
प्रतिफल के बिना किया गया कोई अन्तरण इस धारा के प्रयोजनों के लिए केवल इस कारण से ही कपटवंचित करने के आशय से किया गया न समझा जाएगा कि कोई पाश्चिक अन्तरण प्रतिफलार्थ किया गया था ।
Section 53 TPA – Fraudulent transfer.—
(1) Every transfer of immoveable property made with intent to defeat or delay the creditors of the transferor shall be voidable at the option of any creditor so defeated or delayed.
Nothing in this sub-section shall impair the rights of a transferee in good faith and for consideration.
Nothing in this sub-section shall affect any law for the time being in force relating to insolvency.
A suit instituted by a creditor (which term includes a decree -holder whether he has or has not applied for execution of his decree) to avoid a transfer on th e ground that it has been made with intent to defeat or delay the creditors of the transferor, shall be instituted on behalf of, or for the benefit of, all the creditors. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 53
(2) Every transfer of immoveable property made without consideration with intent to defraud a subsequent transferee shall be voidable at the option of such transferee.
For the purposes of this sub-section, no transfer made without consideration shall be deemed to have been made with intent to defraud by reason only that a subsequent transfer for consideration was made. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 53