संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 65- बंधककर्ता द्वारा विवक्षित संविदाएं-
तत्प्रतिकूल संविदा न हो तो यह समझा जाएगा कि बन्धककर्ता ने बन्धकदार से संविदा की है कि
(क) वह हित, जिसे बन्धककर्ता बन्धकदार को अन्तरित करने की प्रत्र्यंजना करता है अस्तित्वयुक्त है, और उसे अन्तरित करने की शक्ति बन्धककर्ता को है,
(ख) बन्धककर्ता बन्धक-सम्पत्ति पर बन्धककर्ता के हक की प्रतिरक्षा करेगा या यदि बन्धकदार का उस पर कब्जा है तो बन्धककर्ता उसे उस हक की प्रतिरक्षा करने के योग्य बनाएगा,
(ग) जब तक बन्धक-सम्पत्ति पर बन्धकदार का कब्जा नहीं है, तब तक सम्पत्ति की बाबत प्रोद्भवमान शोध्य सब लोक प्रभारों को बन्धककर्ता देगा,
(घ) और जहां कि बन्धक-सम्पत्ति पट्टा है, वहाँ उस पट्टे के अधीन देय भाटकों का संदाय, उसमें अन्तर्विष्ट शर्तों का पालन और पट्टेदार को आबद्ध करने वाली संविदाओं का अनुपालन बन्धक के प्रारम्भ होने तक का किया जा चुका है, तथा बन्धककर्ता उस समय तक, जब तक प्रतिभूति वर्तमान रहती है, और बन्धकदार का कब्जा बन्धक-सम्पत्ति पर नहीं है. पट्टे द्वारा या यदि पट्टे का नवीकरण कराया जाए तो नवीकृत पट्टे द्वारा आरक्षित भाटक देगा, उसमें अन्तर्विष्ट शर्तों का पालन करेगा और पट्टेदार को आबद्ध करने वाली संविदाओं का अनुपालन करेगा और उक्त भाटक के असंदाय के या उक्त शर्तों और संविदाओं के अपालन या अनुपालन के कारण जो दावे बन्धकदार को भुगतने पड़ें, उन सबके लिए बन्धकदार की क्षतिपूर्ति करेगा,
(ङ) और जहां कि वह बन्धक उस सम्पत्ति पर द्वितीय या पाश्चिक बिल्लंगम है वहाँ बन्धककर्ता हर एक पूर्विक विल्लंगम मद्धे प्रोद्भवमान शोध्य ब्याज, जैसे और जब वह शोध्य हो जाए, समय-समय पर देगा और ऐसे पूर्विक विल्लंगम मद्धे शोध्य मूलधन का भुगतान उचित समय पर करेगा।
इस धारा में वर्णित संविदाओं का फायदा बन्धकदार के अपनी उस हैसियत के हित के साथ उपाबद्ध होगा और जाएगा और ऐसे हर व्यक्ति द्वारा प्रवृत्त कराया जा सकेगा जिसमें वह हित पूर्णतः या भागतः समय-समय पर निहित हो।
Section 65 TPA -Implied contracts by mortgagor –
In the absence of a contract to the contrary, the mortgagor shall be deemed to contract with the mortgagee,–
(a) that the interest which the mortgagor professes to transfer to the mortgagee subsists, and that the mortgagor has power to transfer the same ;
(b) that the mortgagor will defend, or, if the mortgagee be in possession of the mortgaged property, enable him to defend, the mortgagor’s title thereto;
(c) that the mortgagor will, so long as the mortgagee is not in possession of the mortgaged property, pay all public charges accruing due in respect of the property; संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 65
(d) and, where the mortgaged property is a lease 1***, that the rent payable under the lease, lease, the conditions contained therein, and the contracts binding on the lessee have been paid, performed and observed down to the commencement of the mortgage; and that the mortgagor will, so long as the security exists and the mortgagee is not in possession of the mortgaged property, pay the rent reserved by the lease, or, if the lease be renewed, the renewed lease, perform the conditions contained therein and observe the contracts binding on the lessee, and indemnify the mortgagee against all claims sustained by reason of the non-payment of the said rent or the a non-performance or non-observance of the said conditions and contracts; संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 65
(e) and, where the mortgage is a second or subsequent incumbrance on the property, that the mortgagor will pay the interest from time to time accruing due on each prior incumbrance as and when it becomes due, and will at the proper time discharge the principal money due on such prior incumbrance. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 65
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The benefit of the contracts mentioned in this section shall be annexed to and shall go with the interest of the mortgagee as such, and may be enforced by every person in whom that interest is for the whole or any part thereof from time to time vested.
1. The words “for a term of years” omitted by s. 29, ibid.
2. Certain words omitted by Act 20 of 1929, s. 29.