सीआरपीसी की धारा 299 — अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य का अभिलेख —
(1) यदि यह साबित कर दिया जाता है कि अभियुक्त व्यक्ति फरार हो गया है और उसके तुरन्त गिरफ्तार किए जाने की कोई संभावना नहीं है तो उस अपराध के लिए, जिसका परिवाद किया गया है, उस व्यक्ति का विचारण करने के लिए या विचारण के लिए सुपुर्द करने के लिए सक्षम न्यायालय अभियोजन की ओर से पेश किए गए साक्षियों की (यदि कोई हो), उसकी अनुपस्थिति में परीक्षा कर सकता है और उनका अभिसाक्ष्य अभिलिखित कर सकता है और ऐसा कोई अभिसाक्ष्य उस व्यक्ति के गिरफ्तार होने पर, उस अपराध की जांच या विचारण में, जिसका उस पर आरोप है, उसके विरुद्ध साक्ष्य में दिया जा सकता है। यदि अभिसाक्षी मर गया है, या साक्ष्य देने के लिए असमर्थ है, या मिल नहीं सकता है या उसकी हाजिरी इतने विलम्ब, व्यय या असुविधा के बिना, जितनी की मामले की परिस्थितियों में अनुचित होगी, नहीं कराई जा सकती है।
(2) यदि यह प्रतीत होता है कि मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय कोई अपराध किसी अज्ञात व्यक्ति या, किन्हीं अज्ञात व्यक्तियों द्वारा किया गया है तो उच्च न्यायालय या सेशन न्यायाधीश निदेश दे सकता है कि कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट जांच करे और किन्हीं साक्षियों की जो अपराध के बारे में साक्ष्य दे सकते हों, परीक्षा करे और ऐसे लिया गया कोई अभिसाक्ष्य, किसी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध, जिस पर अपराध का तत्पश्चात् अभियोग लगाया जाता है, साक्ष्य में दिया जा सकता है, यदि अभिसाक्षी मर जाता है या साक्ष्य देने के लिए असमर्थ हो जाता है या भारत की सीमाओं से परे है।
राज्य संशोधन
उत्तरप्रदेश — धारा 299 में उपधारा (1) में “ऐसे व्यक्ति के विचारण में सक्षम” शब्दों के स्थान पर “ऐसे व्यक्ति के विचारण या ऐसे व्यक्ति को विचारण के लिए सुपुर्द करने में सक्षम” प्रतिस्थापित किये जाएंगे।
[देखें उत्तरप्रदेश एक्ट संख्या 16 सन् 1976, धारा 7 (दिनांक 1-5-1976 से प्रभावशील)]
Section 299 CrPC — Record of evidence in absence of accused —
(1) If it is proved that an accused person has absconded, and that there is no immediate prospect of arresting him, the Court competent to try ‘[or commit for trial], such person for the offence complained of may, in his absence, examine the witnesses (if any) produced on behalf of the prosecution, and record their depositions and any such deposition may, on the arrest of such person, be given in evidence against him on the inquiry into, or trial for, the offence with which he is charged, if the deponent is dead or incapable of giving evidence or cannot be found or his presence cannot be procured without an amount of delay, expense or inconvenience which, under the circumstances of the case, would be unreasonable. सीआरपीसी की धारा 299
(2) If it appears that an offence punishable with death or imprisonment for life has been committed by some person or persons unknown, the High Court or the Sessions Judge may direct that any Magistrate of the first class shall hold an inquiry and examine any witnesses who can give evidence concerning the offence and any depositions so taken may be given, in evidence against any person who is subsequently accused of the offence, if the deponent is dead or incapable of giving evidence or beyond the limits of India. सीआरपीसी की धारा 299
STATE AMENDMENT
Uttar Pradesh – In section 299, in sub-section (1), for the words “competent to try such person” the words “competent to try such person or to commit him for trial” shall be substituted. सीआरपीसी की धारा 299
[Vide Uttar Pradesh Act 16 of 1976, sec. 7 (w.e.f. 1-5-1976)].