सीआरपीसी की धारा 319 — अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति —
(1) जहाँ किसी अपराध की जांच या विचारण के दौरान साक्ष्य से यह प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति ने, जो अभियुक्त नहीं है, कोई ऐसा अपराध किया है जिसके लिए ऐसे व्यक्ति का अभियुक्त के साथ विचारण किया जा सकता है, वहाँ न्यायालय उस व्यक्ति के विरुद्ध उस अपराध के लिए जिसका उसके द्वारा किया जाना प्रतीत होता है, कार्यवाही कर सकता है।
(2) जहाँ ऐसा व्यक्ति न्यायालय में हाजिर नहीं है वहाँ पूर्वोक्त प्रयोजन के लिए उसे मामले की परिस्थितियों की अपेक्षानुसार, गिरफ्तार या समन किया जा सकता है।
(3) कोई व्यक्ति जो गिरफ्तार या समन न किए जाने पर भी न्यायालय में हाजिर है, ऐसे न्यायालय द्वारा उस अपराध के लिए, जिसका उसके द्वारा किया जाना प्रतीत होता है, जांच या विचारण के प्रयोजन के लिए निरुद्ध किया जा सकता है।
(4) जहाँ न्यायालय किसी व्यक्ति के विरुद्ध उपधारा (1) के अधीन कार्यवाही करता है, वहाँ–
(क) उस व्यक्ति के बारे में कार्यवाही फिर से प्रारंभ की जाएगी और साक्षियों को फिर से सुना जाएगा;
(ख) खण्ड (क) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, मामले में ऐसे कार्यवाही की जा सकती है, मानो वह व्यक्ति उस समय अभियुक्त व्यक्ति था जब न्यायालय ने उस अपराध का संज्ञान किया था जिस पर जांच या विचारण प्रारंभ किया गया था।
Section 319 CrPC — Power to proceed against other persons appearing to be guilty of offence —
(1) Where, in the course of any inquiry.into, or trial of, an offence, it appears from the evidence that any person not being the accused has committed any offence for which such person could be tried together with the accused, the Court may proceed against such person for the offence which he appears to have committed
(2) Where such person is not attending the Court, he may be arrested or summoned, as the circumstances of the case may require, for the purpose aforesaid.
(3) Any person attending the Court, although not under arrest or upon a summons, may be detained by such Court for the purpose of the inquiry into, or trial of, the offence which he appears to have committed. सीआरपीसी की धारा 319
(4) Where the Court proceeds against any person under sub-section (1), then
(a) the proceedings in respect of such person shall be commenced afresh, and witnesses re-heard;
(b) subject to the provisions of clause (a), the case may proceed as if such person had been an accused person when the Court took cognizance of the offence upon which the inquiry or trial was commenced.