सीआरपीसी की धारा 377 — राज्य सरकार द्वारा दण्डादेश के विरुद्ध अपील —
(1) उपधारा (2) में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से भिन्न किसी न्यायालय द्वारा किए गए विचारण में दोषसिद्धि के किसी मामले में लोक अभियोजक को दण्डादेश की अपर्याप्तता के आधार पर उसके विरुद्ध–
(क) सेशन न्यायालय में, यदि दण्डादेश किसी मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया जाता है; और
(ख) उच्च न्यायालय में, यदि दण्डादेश किसी अन्य न्यायालय द्वारा पारित किया जाता है, अपील प्रस्तुत करने का निदेश दे सकती है।
(2) यदि ऐसी दोषसिद्धि किसी ऐसे मामले में है जिसमें अपराध का अन्वेषण दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम, 1946 (1946 का 25) के अधीन गठित दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन द्वारा या इस संहिता से भिन्न किसी केन्द्रीय अधिनियम के अधीन अपराध का अन्वेषण करने के लिए सशक्त किसी अन्य अभिकरण द्वारा किया गया है तो केन्द्रीय सरकार भी लोक अभियोजक को दण्डादेश की अपर्याप्तता के आधार पर उसके विरुद्ध–
(क) सेशन न्यायालय में, यदि दण्डादेश किसी मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया जाता है; और
(ख) उच्च न्यायालय में, यदि दण्डादेश किसी अन्य न्यायालय द्वारा पारित किया जाता है,
अपील प्रस्तुत करने का निदेश दे सकती है।
(3) जब दण्डादेश के विरुद्ध अपर्याप्तता के आधार पर अपील की गई है तब यथास्थिति, सेशन न्यायालय या उच्च न्यायालय उस दण्डादेश में वृद्धि तब तक नहीं करेगा जब तक कि अभियुक्त को ऐसी वृद्धि के विरुद्ध कारण दर्शित करने का युक्तियुक्त अवसर नहीं दिया गया है और कारण दर्शित करते समय अभियुक्त अपनी दोषमुक्ति के लिए या दण्डादेश में कमी करने के लिए अभिवचन कर सकता है।
(4) जब भारतीय दण्ड संहिता(1860 का 45) की धारा 376, धारा 376क, धारा 376कख, धारा 376ख, धारा 376ग, धारा 376घ, धारा 376घक, धारा 376घख या धारा 376ङ के अधीन पारित दण्डादेश के विरुद्ध अपील फाइल की गई है तो अपील का निपटारा,ऐसी अपील फाइल किये जाने की तारीख से छह मास की कालावधि के भीतर किया जाएगा ।
Section 377 CrPC — Appeal by the State Government against sentence —
(1) Save as otherwise provided in sub-section (2), the State Government may, in any case of conviction on a trial held by any Court other than a High Court, direct the Public Prosecutor to present 1[an appeal against the sentence on the ground of its inadequacy—
(a) to the Court of Session, if the sentence is passed by the Magistrate; and
(b) to the High Court, if the sentence is passed by any other Court.] सीआरपीसी की धारा 377
(2) If such conviction is in a case in which the offence has been investigated by the Delhi Special Police Establishment, constituted under the Delhi Special Police Establishment Act, 1946 (25 of 1946), or by any other agency empowered to make investigation into an offence under any Central Act other than this Code, 2 [the Central Government may also direct] the Public Prosecutor to present 3 [an appeal against the sentence on the ground of its inadequacy— सीआरपीसी की धारा 377
(a) to the Court of Session, if the sentence is passed by the Magistrate; and
(b) to the High Court, if the sentence is passed by any other Court.]
(3) When an appeal has been filed against the sentence on the ground of its inadequacy, 4 [the Court of Session or, as the case may be, the High Court] shall not enhance the sentence except after giving to the accused a reasonable opportunity of showing cause against such enhancement and while showing cause, the accused may plead for his acquittal or for the reduction of the sentence.