सीआरपीसी की धारा 397 — पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अभिलेख मंगाना —
(1) उच्च न्यायालय या कोई सेशन न्यायाधीश अपनी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर स्थित किसी अवर दण्ड न्यायालय के समक्ष की किसी कार्यवाही के अभिलेख को, किसी अभिलिखित या पारित किए गए निष्कर्ष, दण्डादेश या आदेश की शुद्धता, वैधता या औचित्य के बारे में और ऐसे अवर न्यायालय की किन्हीं कार्यवाहियों की नियमितता के बारे में अपना समाधान करने के प्रयोजन से मंगा सकता है और उसकी परीक्षा कर सकता है और ऐसा अभिलेख मंगाते समय निदेश दे सकता है कि अभिलेख की परीक्षा लंबित रहने तक किसी दण्डादेश का निष्पादन निलंबित किया जाए और यदि अभियुक्त परिरोध में है तो उसे जमानत पर या उसके अपने बंधपत्र पर छोड़ दिया जाए।
स्पष्टीकरण — सभी मजिस्ट्रेट चाहे वे कार्यपालक हों या न्यायिक और चाहे वे आरंभिक अधिकारिता का प्रयोग कर रहे हों, या अपील अधिकारिता का, इस उपधारा के और धारा 398 के प्रयोजनों के लिए सेशन न्यायाधीश से अवर समझे जाएंगे।
(2) उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग किसी अपील, जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही में पारित किसी अंतर्वर्ती आदेश की बाबत नहीं किया जाएगा।
(3) यदि किसी व्यक्ति द्वारा इस धारा के अधीन आवेदन या तो उच्च न्यायालय को या सेशन न्यायाधीश को किया गया है तो उसी व्यक्ति द्वारा कोई और आवेदन उनमें से दूसरे के द्वारा ग्रहण नहीं किया जाएगा।
Section 397 CrPC — Calling for records to exercise powers of revision —
(1) The High Court or any Sessions Judge may call for and examine the record of any proceeding before any inferior Criminal Court situate within its or his local jurisdiction for the purpose of satisfying itself or himself; to the correctness, legality or propriety of any finding, sentence or order, recorded or passed, and as to the regularity of any proceedings of such inferior Court, and may, when calling, for such record, direct that the execution of any sentence or order be suspended, and if the accused is in confinement that he be released on bail or on his own bond pending the examination of the record.
Explanation.—All Magistrates, whether Executive or Judicial, and whether exercising original or appellate jurisdiction, shall be deemed to be inferior to the Sessions Judge for the purposes of this sub-section and of section 398. सीआरपीसी की धारा 397
(2) The powers of revision conferred by sub-section (1) shall not be exercised in relation to any interlocutory order passed in any appeal, inquiry, trial or other proceeding.
(3) If an application under this section has been made by any person either to the High Court or to the Sessions Judge, no further application by the same person shall be entertained by the other of them.