सीआरपीसी की धारा 426 — निकल भागे सिद्धदोष पर दण्डादेश कब प्रभावशील होगा —
(1) जब निकल भागे सिद्धदोष को इस संहिता के अधीन मृत्यु, आजीवन कारावास या जुर्माने का दण्डादेश दिया जाता है तब ऐसा दण्डादेश इसमें इसके पूर्व अन्तर्विष्ट उपबंधों के अधीन रहते हुए तुरन्त प्रभावी हो जाएगा।
(2) जब निकल भागे सिद्धदोष को इस संहिता के अधीन किसी अवधि के कारावास का दण्डादेश दिया जाता है तब–
(क) यदि ऐसा दण्डादेश उस दण्डादेश से कठोरतर किस्म का हो जिसे ऐसा सिद्धदोष, जब वह निकल भागा था, तब भोग रहा था तो नया दण्डादेश तुरन्त प्रभावी हो जाएगा;
(ख) यदि ऐसा दण्डादेश उस दण्डादेश से कठोरतर किस्म का न हो जिसे ऐसा सिद्धदोष, जब वह निकल भागा था तब, भोग रहा था, तो नया दण्डादेश, उसके द्वारा उस अतिरिक्त अवधि के लिए कारावास भोग लिए जाने के पश्चात् प्रभावी होगा, जो उसके निकल भागने के समय उसके पूर्ववर्ती दण्डादेश की शेष अवधि के बराबर है।
(3) उपधारा (2) के प्रयोजनों के लिए, कठोर कारावास का दण्डादेश सादा कारावास के दण्डादेश से कठोरतम किस्म का समझा जाएगा।
Section 426 CrPC — Sentence on escaped convict when to take effect —
(1) When a sentence of death, imprisonment for life or fine is passed under this Code on an escaped convict, such sentence shall, subject to the provisions hereinbefore contained, take effect immediately.
(2) When a sentence of imprisonment for a term is passed under this Code on an escaped convict,—
(a) if such sentence is severer in kind than the sentence which such convict was undergoing when he escaped, the new sentence shall take effect immediately;
(b) if such sentence is not severer in kind than the sentence which such convict was undergoing when he escaped, the new sentence shall take effect after he has suffered imprisonment for a further period equal to that which, at the time of his escape, remained unexpired of his former sentence.
(3) For the purposes of sub-section (2), a sentence of rigorous imprisonment shall be deemed to be severer in kind than a sentence of simple imprisonment.