हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 11 – शून्य विवाह-
इस अधिनियम के प्रारम्भ के पश्चात् अनुष्ठापित कोई भी विवाह, यदि वह धारा 5 के खण्ड (i), (iv) और (v) में विनिर्दिष्ट शर्तों में से किसी एक का भी उल्लंघन करता हो तो, अकृत और शून्य होगा और विवाह के किसी पक्षकार द्वारा दूसरे पक्षकार के विरुद्ध उपस्थापित अर्जी पर अकृतता की डिक्री द्वारा ऐसा घोषित किया जा सकेगा ।
Section 11 Hindu Marriage Act – Void marriages —
Any marriage solemnised after the commencement of this Act shall be null and void and may, on a petition presented by either party thereto 1[against the other party], be so declared by a decree of nullity if it contravenes any one of the conditions specified in clauses (i), (iv) and (v) of section 5.
1. Ins. by s. 5, ibid. (w.e.f. 27-5-1976).