हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 16 – शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के अपत्यों की धर्मजता-
(1) इस बात के होते हुए भी कि विवाह धारा 11 के, अधीन अकृत और शून्य है, ऐसे विवाह का ऐसा अपत्य धर्मज होगा, जो विवाह के विधिमान्य होने की दशा में धर्मज होता चाहे ऐसे अपत्य का जन्म विवाह विधि (संशोधन) अधिनियम, 1976 के प्रारंभ से पूर्व या उसके पश्चात् हुआ हो और चाहे उस विवाह के संबंध में अकृतता की डिक्री इस अधिनियम के अधीन मंजूर की गई हो या नहीं और चाहे वह विवाह इस अधिनियम के अधीन अर्जी से भिन्न आधार पर शून्य अभिनिर्धारित किया गया हो या नहीं ।
(2) जहां धारा 12 के अधीन शून्यकरणीय विवाह के संबंध में अकृतता की डिक्री मंजूर की जाती है वहां डिक्री की जाने से पूर्व जनित या गर्भाहित ऐसा कोई अपत्य, जो यदि विवाह डिक्री की तारीख को अकृत किए जाने की बजाय विघटित कर दिया गया होता तो विवाह के पक्षकारों का धर्मज अपत्य होता, अकृतता की डिक्री होते हुए भी उनका धर्मज अपत्य समझा जाएगा ।
(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह ऐसे विवाह के किसी ऐसे अपत्य को, जो अकृत और शून्य है या जिसे धारा 12 के अधीन अकृतता की डिक्री द्वारा अकृत किया गया है, उसके माता-पिता से भिन्न किसी व्यक्ति की सम्पत्ति में या सम्पत्ति के लिए कोई अधिकार किसी ऐसी दशा में प्रदान करती है जिसमें कि यदि यह अधिनियम पारित न किया गया होता तो वह अपत्य अपने माता-पिता का धर्मज अपत्य न होने के कारण ऐसा कोई अधिकार रखने या अर्जित करने में असमर्थ होता ।
Section 16 Hindu Marriage Act – Legitimacy of children of void and voidable marriages.–
(1) Notwithstanding that a marriage marriage is null and void under section 11, any child of such marriage who would have been legitimate if the marriage had been valid, shall be legitimate, whether such child is born before or after the commencement of the Marriage Laws (Amendment) Act, 1976 (68 of 1976), and whether or not a decree of nullity is granted in respect of that marriage under this Act and whether or not the marriage is held to be void otherwise than on a petition under this Act.
(2) Where a decree of nullity is granted in respect of a voidable marriage under section 12, any child begotten or conceived before the decree is made, who would have been the legitimate child of the parties to the marriage if at the date of the decree it had been dissolved instead of being annulled, shall be deemed to be their legitimate child notwithstanding the decree of nullity. हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 16
(3) Nothing contained in sub-section (1) or sub-section (2) shall be construed as conferring upon any child of a marriage which is null and void or which is annulled by a decree of nullity under section 12, any rights in or to the property of any person, other than the parents, in any case where, but for the passing of this Act, such child would have been incapable of possessing or acquiring any such rights by reason of his not being the legitimate child of his parents. हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 16
1. Subs. by Act 68 of 1976, s. 11, for section16 (w.e.f. 27-5-1976).