हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 19 – वह न्यायालय जिसमें अर्जी उपस्थापित की जाएगी-
इस अधिनियम के अधीन हर अर्जी उस जिला न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी जिसकी मामूली आरंभिक सिविल अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर-
(i) विवाह का अनुष्ठान हुआ था; या
(ii) प्रत्यर्थी, अर्जी के पेश किए जाने के समय, निवास करता है; या
(iii) विवाह के पक्षकारों ने अंतिम बार एक साथ निवास किया था; या
(iiiक) पत्नी के अर्जीदार होने की दशा में,याचिका प्रस्तुत करने वाले दिनांक को ,जहाँ वह निवास कर रही है; या
(iv) अर्जीदार के अर्जी पेश किए जाने के समय निवास कर रहा है, यह ऐसे मामले में, जिसमें प्रत्यर्थी उस समय ऐसे राज्यक्षेत्र के बाहर निवास कर रहा है जिस पर इस अधिनियम का विस्तार है अथवा वह जीवित है या नहीं इसके बारे में सात वर्ष या उससे अधिक की कालावधि के भीतर उन्होंने कुछ नहीं सुना है, जिन्होंने उसके बारे में, यदि वह जीवित होता तो, स्वभाविकतया सुना होता ।
Section 19 Hindu Marriage Act – Court to which petition shall be presented.—
Every petition under this Act shall be presented to the District Court within the local limits of whose ordinary original civil jurisdiction:
(i) the marriage was solemnized, or
(ii) the respondent, at the time of the presentation of the petition, resides, or
(iii) the parties to the marriage last resided together, or
2[(iiia) in case the wife is the petitioner, where she is residing on the date of presentation of the petition; or]
(iv) the petitioner is residing at the time of the presentation of the petition, in a case where the respondent is at that time, residing outside the territories to which this Act extends, or has not been heard of as being alive for a period of seven years or more by those persons who would naturally have heard of him if he were alive.]
1. Subs. by Act 68 of 1976, s. 12, for s. 19 (w.e.f. 27-5-1976).
2. Ins. by Act 50 of 2003, s. 4 (w.e.f. 23-12-2003).