मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 115 :- गति सीमा
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 183 : – अत्यधिक गति आदि से चलाना —
(1) जो कोई धारा 112 में निर्दिष्ट गति-सीमा का उल्लंघन करके मोटर यान चलाएगा [या किसी ऐसे व्यक्ति से, जो उसके द्वारा नियोजित है या उसके नियंत्रण के अधीन किसी व्यक्ति से उसे चलवाएगा], वह जुर्माने से, [निम्नलिखित रीति में दण्डनीय होगा, अर्थात्:-
(i) जहां कोई ऐसा मोटर यान हल्का मोटर यान है वहां ऐसे जुर्माने से, जो एक हजार रुपए से कम नहीं होगा किन्तु दो हजार रुपए तक हो सकेगा;
(ii) जहां ऐसा मोटर यान मध्यम माल यान या मध्यम यात्री यान या भारी माल यान कि या भारी यात्री यान है वहां ऐसे जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम नहीं होगा किन्तु चार हजार रुपए तक का हो सकेगा; और
(iii) इस उपधारा के अधीन दूसरे या किसी पश्चातवर्ती अपराध के लिए ऐसे चालक की चालन अनुज्ञप्ति धारा 206 की उपधारा (4) के उपबंधों के अनुसार परिबद्ध कर ली जाएगी ।]
(3) कोई व्यक्ति केवल एक साक्षी के इस आशय के साक्ष्य पर ही कि उस साक्षी की राय में ऐसा व्यक्ति ऐसी गति से यान को चला रहा था जो विधिविरुद्ध है, तब तक दोषसिद्ध नहीं किया जाएगा जब तक उस राय की बाबत यह दर्शित नहीं कर दिया जाता है कि वह किसी यांत्रिक [या इलेक्ट्रॉनिक] युक्ति के उपयोग से अभिप्राप्त प्राक्कलन पर आधारित है।
(4) ऐसी समय सारणी का प्रकाशन जिसके अधीन ऐसे किसी निदेश का दिया जाना जिसके अनुसार कोई यात्रा या यात्रा का भाग विनिर्दिष्ट समय के अन्दर पूरा कर लिया जाना है, उस दशा में, जिसमें न्यायालय की यह राय है कि मामले की परिस्थितियों में यह साक्ष्य नहीं है कि वह यात्रा या यात्रा का भाग धारा 122 में निर्दिष्ट गति-सीमा का उल्लंघन किए बिना विनिर्दिष्ट समय के अन्दर पूरा कर लिया जाए, इस बात का प्रथमदृष्टया साक्ष्य होगा कि जिस व्यक्ति ने वह समय सारणी प्रकाशित की है या वह निदेश दिया है उसने [उपधारा (1)] के अधीन दण्डनीय अपराध किया है।
112/183 MV Act 1988 in hindi 112/183 MV Act 1988 in hindi