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धारा 9 दहेज प्रतिषेध अधिनियम | 9 Dowry Prohibition Act in hindi

धारा 9 दहेज प्रतिषेध अधिनियम – नियम बनाने की शक्ति-

(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकती है ।


(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात्‌: –
(क) वह प्ररूप जिसमें और वह रीति जिससे और ऐसे व्यक्ति जिनके द्वारा धारा 3 की उपधारा (2) में निर्दिष्ट भेंटों की कोई सूची रखी जाएगी और उनसे संबंधित सभी अन्य विषय; और
(ख) इस अधिनियम के प्रशासन की बाबत नीति और कार्रवाई का बेहतर समन्वय।


(3) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात्‌ यथाशीघ्र संसद्‌ के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो, तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा [यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व] दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात्‌ वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात्‌ वह निष्प्रभाव हो जाएगा किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।


9 Dowry Prohibition Act – Power to make rules—

(1) The Central Government may, by notification in the Official Gazette,
make rules for carrying out the purposes of this Act.
(2) In particular, and without prejudice to the generality of the foregoing power, such rules may provide for—
(a) the form and manner in which, and the persons by whom, any list of presents referred to in sub-section (2) of section 3 shall be maintained and all other matters connected therewith; and
(b) the better co-ordination of policy and action with respect to the administration of this Act. धारा 9 दहेज प्रतिषेध अधिनियम
(3) Every rule made under this section shall be laid as soon as may be after it is made before each House of Parliament while it is in session for a total period of thirty days which may be comprised in one session or [in two or more successive sessions, and if, before the expiry of the session immediately following the session or the successive sessions aforesaid], both Houses agree in making any modification in the rule or both Houses agree that the rule should not be made, the rule shall thereafter have effect only in such modified form or be of no effect, as the case may be, so however that any such modification or annulment shall be without prejudice to the validity of anything previously done under that rule.

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