संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 6 – क्या अंतरित किया जा सकेगा—
किसी भी किस्म की संपत्ति, इस अधिनियम या किसी भी अन्य तत्समय-प्रवृत्त विधि द्वारा अन्यथा उपबंधित के सिवाय, अन्तरित की जा सकेगी
(क) किसी प्रत्यक्ष वारिस की संपदा का उत्तराधिकारी होने की संभावना, कुल्य की मृत्यु पर किसी नातेदार की वसीयत-संपदा अभिप्राप्त करने की संभावना या इसी प्रकृति की कोई अन्य संभावना मात्र अन्तरित नहीं की जा सकती;
(ख) किसी उत्तरभाब्य शर्त के भंग के कारण पुनः प्रवेश का अधिकार मात्र उस सम्पत्ति का, जिस पर तद्द्वारा प्रभाव पड़ा है, स्वामी के सिवाय किसी अन्य को अन्तरित नहीं किया जा सकता;
(ग) कोई सुखाचार अधिष्ठायी स्थल से पृथक्तः अन्तरित नहीं किया जा सकता:
(घ) सम्पत्ति में का ऐसा हित, जो उपभोग में स्वयं स्वामी तक ही निर्बन्धित है, उसके द्वारा अन्तरित नहीं किया जा सकता:
(घघ) भावी भरणपोषण का अधिकार, चाहे वह किसी भी रीति से उद्भूत, प्रतिभूत या अवधारित हो, अन्तरित नहीं किया जा सकता;
(ङ) वाद लाने का अधिकार मात्र अन्तरित नहीं किया जा सकता;
(च) लोक पद अन्तरित नहीं किया जा सकता, और न लोक आफिसर का संबलम् उसके देय होने से, चाहे पूर्व या पश्चात्, अन्तरित किया जा सकता;
(छ) वृत्तिकाएं, जो सरकार के सैनिक, नौसैनिक, वायुसैनिक और सिविल पेन्शन भोगियों को अनुज्ञात हों, और राजनैतिक पेंशने अन्तरित नहीं की जा सकतीं;
(ज) कोई भी अन्तरण (1) जहाँ तक वह तद्द्वारा उस हित की, जिस पर प्रभाव पड़ा है, प्रकृति के प्रतिकूल हो, या (2) जो भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (1872 का 9) की धारा 23 के अर्थ के अन्तर्गत किसी विधिविरुद्ध उद्देश्य या प्रतिफल के लिए हो, या (3) जो ऐसे व्यक्ति को, जो अन्तरिती होने से विधितः निरहित हो, नहीं किया जा सकता;
(झ) इस धारा की कोई भी बात अधिभोग का अनन्तरणीय अधिकार रखने वाले किसी अभिधारी को, उस सम्पदा के किसान को, जिस सम्पदा के लिए राजस्व देने में व्यतिक्रम हुआ है, या किसी प्रतिपाल्य अधिकरण के प्रबंध के अधीन किसी सम्पदा के पट्टेदार को, ऐसे अभिधारी, किसान या पट्टेदार के नाते अपने हित का समनुदेशन करने के बारे में प्राधिकृत करने वाली नहीं समझी जाएगी।
Section 6 TPA – What may be transferred –
Property of any kind may be transferred, except as otherwise provided by this Act or by any other law for the time being in force:
(a) The chance of an heir-apparent succeeding to an estate, the chance of a relation obtaining a legacy on the death of a kinsman, or any other mere possibility of a like nature, cannot be transferred.
(b) A mere right of re-entry for breach of a condition subsequent cannot be transferred to any one except the owner of the property affected thereby .
(c) An easement cannot be transferred apart from the dominant heritage.
(d) An interest in property restricted in its enjoyment to the owner personally cannot be transferred by him.
1[(dd) A right to future maintenance, in whatsoever manner arising, secured or determined, cannot be transferred.]
(e) A mere right to sue 2*** cannot be transferred.
(f) A public office cannot be transferred, nor can the salary of a public officer, whether before or after it has become payable.
(g) Stipends allowed to military, 3[naval], 4[air-force] and civil pensioners of 5[the Government] Government] and political pensions cannot be transferred. संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 6
(h) No transfer can be made (1) in so far as it opposed to the nature of the interest affected thereby, or] (2) 6[an unlawful object or consideration within the meaning of section 23 of the Indian Contract Act, 1872 (9 of 1872), or (3) to a person legally disqualified to be transferee.] संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 6
7[(i) Nothing in this section shall be deemed to authorise a tenant having an untransferable right of occupancy, the farmer of an estate in respect of which default has been made in paying revenue, or the lessee of an estate under the management of a court of Wards, to assign his interest as such tenant, farmer or lessee.] संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 6
1. Ins. by s. 7, ibid.
2. The words “for compensation for a fraud or for harm illegally caused” omitted by Act 2 of 1900, s. 3.
3. Ins. by Act 35 of 1934, s. 2 and the Schedule.
4. Ins. by Act 10 of 1927, s. 2 and the First Schedule.
5. The word “Government” successively adapted by the A.O. 1937 and the A.O. 1950 to read as above.
6. Subs. by Act 2 of 1900, s. 3, for “for an illegal purpose”.
7. Added by Act 3 of 1885, s. 4.